नूंह-गुरुग्राम विध्वंस मामले पर सुनवाई स्थगित- स्वत: संज्ञान जनहित याचिका को हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाएगा: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रक्रियात्मक नियमों का हवाला देते हुए नूंह और गुरुग्राम विध्वंस के खिलाफ स्वत: संज्ञान मामले में सुनवाई अगले शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी।
जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के नियमों के खंड 5 में अध्याय 2 नियम 9 का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट द्वारा शुरू की गई सभी जनहित याचिकाएं चीफ जस्टिस के समक्ष रखी जाएंगी। इसे तीन दिनों के भीतर रोस्टर के अनुसार उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करना।
जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने 7 अगस्त को स्वत: संज्ञान मामला शुरू किया और विध्वंस अभियान पर रोक लगा दी। इसने राज्य से यह भी सवाल किया कि क्या वह कानून और व्यवस्था की आड़ में "जातीय सफाया" करने की कोशिश कर रहा है। साथ ही पूछा कि क्या केवल "विशेष समुदाय" से संबंधित इमारतों को निशाना बनाया गया। खंडपीठ ने तब राज्य की प्रतिक्रिया के लिए मामले को शुक्रवार के लिए पोस्ट किया।
जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस जगमोहन बंसल की अन्य खंडपीठ के समक्ष यह मामला सूचीबद्ध किया गया। सुनवाई के दौरान जस्टिस पल्ली ने बताया कि हाईकोर्ट के नियमों के मुताबिक स्वत: संज्ञान वाले मामले को 3 दिन के भीतर चीफ जस्टिस के सामने रखना होता है।
चूंकि चीफ जस्टिस अदालत नहीं कर रहे हैं, इसलिए खंडपीठ ने सुनवाई अगले शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी। संक्षिप्त सुनवाई में पीड़ितों के वकील सुरजीत सिंह स्वाइच ने तर्क दिया कि कब्जाधारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के विध्वंस किया गया और वे अपनी निजी संपत्तियों के विध्वंस से व्यथित हैं।
हालांकि, एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने इस दलील का खंडन करते हुए दावा किया कि सभी कार्रवाई प्रक्रिया और कानून के अनुपालन में की गईं।
अधिकारियों ने कथित तौर पर कई 'अवैध' झोपड़ियों, अस्थायी दुकानों और कुछ कंक्रीट संरचनाओं को ध्वस्त किया, जो कथित तौर पर पिछले सप्ताह हुई सांप्रदायिक हिंसा में शामिल व्यक्तियों से संबंधित थीं।
स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करने वाली खंडपीठ ने पहले कहा कि 'टाइम्स ऑफ इंडिया' और 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबरों से पता चलता है कि विध्वंस इस तथ्य के कारण हुआ कि इसमें शामिल व्यक्ति असामाजिक गतिविधियों ने अवैध निर्माण कर लिया था।
अखबार की रिपोर्ट में खुद गृह मंत्री के हवाले से कहा गया कि चूंकि सरकार सांप्रदायिक हिंसा की जांच कर रही है, इसलिए बुलडोजर इलाज का हिस्सा है। गृह मंत्री के बयान का हवाला देते हुए जस्टिस संधवालिया की अगुवाई वाली खंडपीठ ने टिप्पणी की, "सत्ता भ्रष्ट करती है और पूर्ण शक्ति पूरी तरह से भ्रष्ट होती है।"