ड्राइवर के शरीर की तलाशी में ड्रग बरामद होने पर यह मानना सही नहीं कि कंट्राबेंड ले जाने के लिए वाहन का भी इस्तेमाल हुआः केरल हाईकोर्ट

Update: 2022-12-01 14:15 GMT

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को इस कानूनी सवाल पर विचार किया कि क्या ड्राइवर के शरीर की तलाशी लेने पर मादक पदार्थ की बरामदगी के मामले में, यह मानना उचित होगा कि वाहन का उपयोग भी प्रतिबंधित पदार्थ को ले जाने के उद्देश्य से किया गया था?

जस्टिस ए बदरुद्दीन ने कहा कि जब एनडीपीएस अधिनियम की धारा 50 के अनुपालन के बाद अकेले वाहन चला रहे व्यक्ति की तलाशी लेने पर मादक पदार्थ बरामद किया जाता है, तो यह मानना सुरक्षित नहीं होगा कि वाहन का उपयोग भी नशीली दवाओं के परिवहन के लिए किया गया था ताकि वाहन को जब्ती का विषय बनाया जा सके।

''ऐसी परिस्थितियों में, यह माना जाना चाहिए कि अभियुक्त ने अपने पास/अपने शरीर में वर्जित पदार्थ को गुप्त रूप से रखा था, हालांकि वह वाहन में यात्रा कर रहा था। इसे देखते हुए, यह नहीं कहा जा सकता है कि वर्तमान मामले में, वाहन का ढुलाई/वहन के रूप में इस्तेमाल किया गया है और वाहन जब्ती का विषय है।''

अदालत कार की अंतरिम कस्टडी की मांग वाली अर्जी को खारिज किए जाने के खिलाफ आरोपी की तरफ से दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। अभियुक्त जब कार में सवार था तब उसके बटुए में 0.06 ग्राम एलएसडी स्टैम्प पाया गया था। उन्होंने विशेष अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि कार का उपयोग प्रतिबंधित सामग्री को ले जाने के लिए वाहन के रूप में कभी नहीं किया गया था।

निचली अदालत ने कहा था कि वाहन को छोड़ा नहीं जा सकता है क्योंकि उपलब्ध सामग्री से पता चलता है कि वाहन का इस्तेमाल आरोपी के पास से बरामद मादक पदार्थ को ले जाने के लिए किया गया था।

आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि रिकवरी महजर को ध्यान से पढ़ने से भी ऐसा नहीं लगता है कि वाहन को ढुलाई के रूप में इस्तेमाल किया गया था, ताकि यह माना जा सके कि यह जब्ती का विषय है।

दूसरी ओर, लोक अभियोजक ने तर्क दिया कि आरोपी को कार चलाते समय रोका गया था और इससे यह संकेत मिलता है कि वाहन का उपयोग ढुलाई के रूप में किया गया था।

कोर्ट ने कहा कि शाजहां बनाम इंस्पेक्टर ऑफ एक्साइज, एक्साइज इंफोर्समेंट एंड एंटी नारकोटिक स्पेशल स्क्वॉड मलप्पुरम व अन्य के मामले में यह कहा गया है कि अगर वाहन जब्ती का विषय है, तो सीआरपीसी की धारा 451 के तहत दावे पर विचार करने की अदालत की शक्ति निरावृत (denuded) है, यह केवल उस मामले पर लागू होगा जहां यह साबित करने के लिए सामग्री है कि वाहन का उपयोग वर्जित पदार्थ ले जाने के लिए किया गया था।

यह देखते हुए कि विशेष न्यायाधीश ने आवेदन को गलत तरीके से खारिज कर दिया था, हाईकोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही निर्देश दिया है कि विशेष न्यायाधीश के समक्ष सत्यापन के लिए मूल आरसी बुक और बीमा प्रमाणपत्र पेश करने पर याचिकाकर्ता को वाहन रिलीज कर दिया जाए।

कोर्ट ने कहा,''तत्पश्चात, विशेष न्यायाधीश याचिकाकर्ता को कार को 1,00,000 रुपये (केवल एक लाख रुपये) के बॉन्ड व दो सॉल्वेंट ज़मानतदार (विशेष कोर्ट की संतुष्टि के लिए) पेश करने के बाद रिलीज कर दें। यह भी अंडरटेकिंग ले ली जाए कि जब भी निर्देश दिया जाएगा,उसे वाहन को अदालत के सामने पेश करना होगा।''

अदालत ने याचिकाकर्ता को यह हलफनामा दायर करने का निर्देश भी दिया है कि वह वाहन को विशेष अदालत की पूर्व अनुमति के बिना या मामले के निस्तारण तक नहीं बेचेगा।

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व एडवोकेट टी. संजय, पी.पी. नियास, सनिल कुमार जी और मिधुन आर ने किया।

सरकारी वकील जी. सुधीर ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया।

केस टाइटल- विल्सन सी.सी. बनाम केरल राज्य

साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (केरल) 627

फैसले को पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



Tags:    

Similar News