एनडीपीएस अधिनियम | केवल हिरासत की अवधि जमानत देने का आधार नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में ड्रग मनी के साथ 120 ग्राम हेरोइन की वसूली पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) के तहत वर्ष 2020 में दर्ज मामले में शामिल आरोपी को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस अवनीश झिंगन की पीठ ने एनसीबी बनाम मोहित अग्रवाल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया और कहा कि केवल हिरासत अवधि जमानत देने का आधार नहीं हो सकती। अधिनियम की धारा 37 के तहत कठोरता लागू होगी।
हिरासत की अवधि की अवधि या तथ्य यह है कि आरोप पत्र दायर किया गया और मुकदमा शुरू हो गया, यह स्वयं विचार नहीं है जिसे एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के तहत प्रतिवादी को राहत देने के लिए प्रेरक आधार के रूप में माना जा सकता है।
सीजेआई एनवी रमाना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की तीन जजों की बेंच ने मोहित अग्रवाल (सुप्रा) मामले में सुनवाई की थी।
प्रकरण से संबंधित तथ्य यह है कि सूचना मिलने पर याचिकाकर्ता एवं सह-अभियुक्तों को नवम्बर, 2020 में गिरफ्तार कर उनके पास से 120 ग्राम हेरोइन एवं 60 हजार रुपये मादक द्रव्य बरामद किया गया। इसके अलावा, आरोपी के कहने पर सीमा क्षेत्र से एक पिस्तौल के साथ हेरोइन की व्यावसायिक मात्रा भी बरामद की गई।
याचिकाकर्ता के एडवोकेट की इस दलील के बारे में कि कार रात होने के बाद और बिना अनुमति के पकड़ी गई, अदालत ने कहा कि यह विचारण का विषय होगा।
इसके अलावा, उसके कब्जे से की गई बरामदगी के अलावा तीन किलोग्राम से अधिक हेरोइन और एक हथियार भी आरोपी के कहने पर बरामद किया गया।
यह मानते हुए कि अभियुक्तों के खिलाफ आरोप गंभीर हैं, अदालत ने कहा कि वाणिज्यिक मात्रा में प्रतिबंधित मामले में जमानत देने के लिए अदालत को खुद को संतुष्ट करने की जरूरत है कि आरोपी दोषी नहीं है और अधिनियम की धारा 37 के अनुसार जमानत पर कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।
अधिनियम की धारा 37 के अनुसार, वाणिज्यिक मात्रा में प्रतिबंधित सामग्री वाले मामलों में जमानत देने के लिए न्यायालय को उचित आधार पर खुद को संतुष्ट करना होगा कि आरोपी दोषी नहीं है और जमानत पर रहते हुए उसके कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।
वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के एनडीपीएस अधिनियम के तहत चार अन्य मामलों में शामिल होने के कारण यह नहीं माना जा सकता है कि जमानत पर रहते हुए कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।
तदनुसार, अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: गुरभेज सिंह @ भेजा बनाम पंजाब राज्य
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें