मोटर दुर्घटना- गवाह नियोक्ता की अनुमति के बिना पेश हुआ, केवल इस आधार पर गवाही संदिग्ध नहीं हो सकतीः झारखंड हाईकोर्ट

Update: 2022-02-16 07:27 GMT

झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में मोटर वाहन अधिनियम, 1989 के तहत मुआवजे में वृद्धि संबंधित एक मामले में एक गवाह- उस कंपनी का महाप्रबंधक जहां मृतक काम किया करता था, की गवाही को केवल इसलिए खारिज़ करने से इनकार कर दिया कि वह विभाग प्रमुख की अनुमति के बिना पेश हुआ था।

जस्टिस गौतम चौधरी ने कहा कि निजी प्रतिष्ठान में नियम और प्रोटोकॉल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या सरकारी विभाग से काफी अलग होते हैं। पीठ ने कहा कि एक गवाह की सत्यता पर केवल इसलिए प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता है कि उसने ट्रिब्यूनल में पेश होने से पहले संबंधित विभागीय प्रमुख से औपचारिक अनुमति नहीं ली थी।

अपीलकर्ताओं ने मोटर वाहन अधिनियम, 1989 के तहत मुआवजे में वृद्धि के लिए अपील दायर की थी। उनकी दलील थी कि मृतक एक योग्य पेशेवर था, जिसने बीएससी और एमबीए की ड‌िग्री ली हुई थी और क्षेत्रीय प्रबंधक के रूप में कार्यरत था, जहां उसकी तनख्वाह 11,300 रुपये थी। हालांकि ट्रिब्यूनल ने उसके मुआवजे के लिए उसकी आय 7,000 रुपये मानी थी।

माना गया कि मृतक मार्क सेनिटेशन प्राइवेट लिमिटेड में क्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर कार्यरत था। महाप्रबंधक ने प्रस्तुत किया था कि मृतक पिछले कुछ महीनों से 11,300 रुपये के मासिक वेतन और 1000 रुपये के निश्चित भत्ते पर कार्यरत था।

आक्षेपित आदेश में महाप्रबंधक के साक्ष्य पर विश्वास नहीं किया गया और मुआवजे का आधार कम वेतन रखा गया। ऐसा इस आधार पर किया गया कि महाप्रबंधक मुख्यालय छोड़ने की अनुमति लिए बिना न्यायालय के समक्ष पेश हुए थे।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा,

"मृतक एक निजी कंपनी में क्षेत्रीय प्रबंधक था, जिस पर कोई विवाद नहीं है। कंपनी के महाप्रबंधक ने 2002 में जारी नियुक्ति पत्र प्रस्तुत किया है, जिसमें छह महीने की परिवीक्षा अवधि में उसका समेकित वेतन 7000 रुपये प्रति माह दर्शाया गया है। एडब्‍ल्यू 3 यह बयान देने के लिए आगे आया कि 02.04.2003 से उसका वेतन 11,300/- रुपये था। उपरोक्त तथ्यों के आलोक में मृतक का वेतन बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया या अतिरंजित प्रतीत नहीं होता है।"

कोर्ट ने 11,300 रुपये की वार्षिक आय, वार्षिक निर्भरता और 40% दर से भविष्य की संभावनाओं के साथ मुआवजे की गणना फिर से की।

केस शीर्षक: श्रीमती विभा सिन्हा और अन्य बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य।

सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (झारखंड) 19

ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

Tags:    

Similar News