पीएमएलए ईडी को गिरफ्तारी के लिए सीआरपीएफ की सहायता लेने का अधिकार नहीं देता, इसकी उपस्थिति ही हिरासत प्रक्रिया का उल्लंघन करती है: मद्रास हाईकोर्ट में मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी ने कहा
मद्रास हाईकोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के समर्थन में दायर अतिरिक्त हलफनामे में उनकी पत्नी मेगाला ने प्रस्तुत किया कि धन शोधन निवारण अधिनियम या पीएमएलए प्रवर्तन निदेशालय को सीआरपीसी की सहायता लेने का अधिकार नहीं देता है, न ही यह सीआरपीएफ के लिए निर्धारित कर्तव्यों के अंतर्गत है।
मेगाला ने तर्क दिया कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची I में प्रविष्टि 2A और सूची II में प्रविष्टि 1 के अनुसार, सीआरपीएफ केवल नागरिक शक्ति की सहायता के लिए उपस्थित हो सकता है। इस प्रकार, उन्होंने तर्क दिया कि सीआरपीएफ राज्य पुलिस के बदले शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकती। उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि सीआरपीएफ सहायता के लिए राज्य पुलिस से कोई अनुरोध नहीं किया गया, इसलिए सीआरपीएफ की उपस्थिति ही पूरी हिरासत प्रक्रिया को अमान्य कर देती है।
उन्होंने यह भी कहा कि वैकल्पिक रूप से सीआरपीएफ की उपस्थिति हिरासत की अवधि की शुरुआत का संकेत होगी और हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उसकी हिरासत के 24 घंटे के भीतर क्षेत्र विशेष अदालत के समक्ष पेश नहीं किया गया, जो कि पीएमएलए एक्ट की धारा 19 का उल्लंघन है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ईडी पुलिस नहीं होने के कारण बालाजी की हिरासत की मांग नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि हिरासत के लिए याचिका पीएमएलए 2002 से अलग है, जो अन्यथा धारा 50 के तहत ईडी को किसी भी व्यक्ति को जांच के लिए बुलाने का अधिकार देती है।
सत्र न्यायाधीश का हिरासत देने का आदेश अवैध
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि प्रधान सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित न्यायिक हिरासत का आदेश अवैध है, क्योंकि न्यायाधीश इस तथ्य पर विचार करने में विफल रहे कि सीआरपीसी की धारा 50 एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(1) का पालन नहीं किया गया। उन्होंने प्रस्तुत किया कि सत्र न्यायाधीश ने केवल लोक अभियोजक की यह दलील स्वीकार की कि गिरफ्तारी की सूचना देने वाली एसएमएस और मेल सेवा को सेवा में लगाया गया। उन्होंने दोहराया कि गिरफ्तारी करते समय मौलिक और वैधानिक दोनों अधिकारों का उल्लंघन किया गया।
उन्होंने आगे कहा कि इस आधार पर हिरासत देने का आदेश कि बालाजी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, "तथ्यात्मक रूप से गलत" और "यांत्रिक रूप से पारित" है।
बालाजी के प्रति अन्नामलाई की नाराजगी
अपने अतिरिक्त हलफनामे में मेगाला ने यह भी प्रस्तुत किया कि भारतीय जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष के अन्नामलाई ने हमेशा बालाजी के प्रति द्वेष रखा है, क्योंकि वह उन्हें अपने राजनीतिक क्षेत्र के लिए खतरा मानते हैं। उन्होंने कहा कि अन्नामलाई 2022 से ही मीडिया में बोल रहे हैं कि केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा बालाजी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।