मद्रास हाईकोर्ट में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की प्रतिमा की स्थापना को चुनौती देने वाली याचिका वापस ली गई

Update: 2022-06-15 08:38 GMT

मद्रास हाईकोर्ट

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की प्रतिमा की स्थापना के खिलाफ हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष दायर जनहित याचिका मंगलवार को वापस ले ली गई।

याचिकाकर्ता जी. कार्तिक ने तर्क दिया कि प्रतिवादियों में से एक ए राजेंद्रन ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत से दिए गए सर्वेक्षण संख्या में उनके स्वामित्व वाली भूमि के ऊपर पट्टा हासिल किया और अब भूमि पर निर्माण करने का प्रयास कर रहा था। उन्होंने आगे तर्क दिया कि यह संपत्ति अब जीवा एजुकेशनल ट्रस्ट (14 वें प्रतिवादी) द्वारा पूर्व सीएम की मूर्ति स्थापित करने के लिए अधिग्रहित की गई है।

चीफ जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस एन. माला की पीठ के सामने जब मामला आया तो अदालत ने वादी को पट्टा के अनुदान को चुनौती देने की स्वतंत्रता के साथ मामले को वापस लेने की अनुमति दी।

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस सत्य नारायण प्रसाद की अवकाश पीठ ने इससे पहले मूर्ति की स्थापना के खिलाफ अंतरिम आदेश दिया था, जिसमें जिला कलेक्टर को क्षेत्र का दौरा करने और अतिक्रमण का निर्धारण करने का निर्देश दिया गया था।

जस्टिस एमएस रमेश और जस्टिस मोहम्मद शफीक की दूसरी अवकाश पीठ ने की तब मामले की सुनवाई थी, जिसने आदेश सुरक्षित रखा था।

हालांकि, इस संबंध में कुछ दस्तावेजों और मिसालों को देखने के बाद अदालत ने निजी पट्टा भूमि में मूर्ति स्थापित करते समय पालन किए जाने वाले दिशानिर्देशों पर चिंता जताई। इसलिए कोर्ट ने मामले की दोबारा सुनवाई करने का फैसला किया।

उत्तरदाताओं ने तर्क दिया कि निर्माण में कोई अवैधता नहीं है और संपत्ति को कानून के अनुसार विकसित किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि याचिका राजनीतिक मकसद से दायर की गई है और याचिकाकर्ता के पास ऐसे मुद्दों के संबंध में याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं था जहां उसका कोई संबंध नहीं है।

केस शीर्षक: जी.कार्तिक बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य

केस नंबर: 2022 का WP नंबर 12929

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