मधु लिंचिंग केस| केरल हाईकोर्ट ने 11 आरोपियों की जमानत रद्द करने के विशेष न्यायालय का आदेश बरकरार रखा

Update: 2022-09-19 11:53 GMT

केरल हाईकोर्ट ने फरवरी, 2018 में आदिवासी युवक की पीट-पीट कर हत्या करने के मामले में 11 आरोपियों को दी गई जमानत रद्द करने के विशेष न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों को सोमवार को खारिज कर दिया।

जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मन्नारक्कड़ विशेष अदालत द्वारा 11 आरोपियों की जमानत रद्द करने के आदेश की पुष्टि की। हालांकि एक आरोपी की जमानत बरकरार रखी गई।

अदालत ने कहा,

"आरोपी नंबर 11 को छोड़कर सभी अपीलें खारिज कर दी गईं।"

फरवरी, 2018 में केरल के अट्टापडी में किराने की दुकान से चावल चोरी करने के आरोप में आदिवासी युवक को बांधने और बेरहमी से पीट-पीट कर मारने के मामले में आरोपी व्यक्तियों पर आरोप लगाया गया था। उन्हें 24 फरवरी, 2018 को गिरफ्तार किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, मन्नारक्कड़ के लिए विशेष न्यायालय के समक्ष उनकी जमानत याचिकाओं को 3 अप्रैल, 2018 को खारिज कर दिया गया था। बाद में इसे एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 14 ए को लागू करके हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी।

इसके बाद 'एससी / एसटी (पीओए) अधिनियम के तहत 30 मई, 2018 को अपील की अनुमति दी गई। इसके साथ शर्त लगाई गई कि "आरोपी व्यक्तियों का गवाहों के साथ सीधे या टेलीफोन पर या अन्यथा पूरी सुनवाई प्रक्रिया समाप्त होने तक कोई संपर्क नहीं होगा। वे किसी भी तरह से गवाहों को प्रभावित करने या धमकी देने का कोई प्रयास नहीं करेंगे।"

मामले की सुनवाई 28 अप्रैल, 2022 को शुरू हुई, लेकिन उसी के दौरान यह पाया गया कि पीड़ित पक्ष के 16 गवाहों में से 14 मुकर गए। पीड़ित पक्ष द्वारा आरोप लगाया गया कि आरोपी व्यक्तियों ने फोन पर गवाहों से संपर्क किया और उन्हें धमकाया। इस प्रकार जमानत की शर्त का उल्लंघन किया।

पीड़ित पक्ष ने आरोपी को दी गई जमानत रद्द करने के लिए अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, मन्नारक्कड़ (इसके बाद 'निचली अदालत') के लिए विशेष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। निचली अदालत ने 20 अगस्त, 2022 को आदिवासी युवक मधु की लिंचिंग मामले में 16 में से 12 आरोपियों की जमानत रद्द कर दी, जिनको इस आधार पर जमानत रद्द कर दी गई कि आरोपी ने उन्हें प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप मामले के अधिकांश गवाह मुकर गए।

इसके खिलाफ कुछ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। याचिकाकर्ता-आरोपी की ओर से वकील एस. राजीव द्वारा यह तर्क दिया गया कि विशेष न्यायालय के पास आक्षेपित आदेश को मानने और पारित करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि हाईकोर्ट द्वारा अपीलीय क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए जमानत दी गई। इसके बाद हाईकोर्ट ने 24 अगस्त, 2022 को विशेष अदालत द्वारा जमानत रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी।

31 अगस्त, 2022 को सुनवाई के दौरान अपीलार्थी-अभियुक्त के वकीलों द्वारा यह प्रस्तुत किया गया कि सत्र न्यायालय हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द नहीं कर सकता, क्योंकि उक्त मामले में औचित्य का प्रश्न शामिल होगा। हालांकि, एकल पीठ ने देखा कि मौजूदा मामले में निचली अदालत केवल इस बात की जांच कर रही है कि आरोपी व्यक्तियों को जमानत देने वाले हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन हुआ है या नहीं। इसलिए यह हाईकोर्ट की सत्यता पर सवाल नहीं उठा रहा है।

इस आलोक में कोर्ट ने वर्तमान फैसला सुनाया।

केस टाइटल: मराक्कर और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य और जुड़े मामले

साइटेशन: लाइव लॉ (केरल) 494/2022 

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