फैकल्टी और बुनियादी ढांचे की कमीः पटना हाईकोर्ट ने बिहार में लॉ कॉलेजों में नए प्रवेश पर रोक लगाई
पटना हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते लिए गए एक महत्वपूर्ण आदेश में बिहार राज्य में सरकारी और निजी लॉ कॉलेजों में नए प्रवेशों को अगले आदेश तक रोक लगाई।
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने कहा कि बिहार राज्य के संस्थानों/लॉ कॉलेजों (केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया और चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटना को छोड़कर) में बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने में अनिवार्य रूप से कमी है।
कोर्ट ने निर्देश दिया,
"हम निर्देश देते हैं कि न्यायालय की अनुमति के बिना कोई शैक्षणिक संस्थान चाहे वह विश्वविद्यालय/ लॉ कॉलेज हो अगले सत्र में छात्रों को प्रवेश नहीं देगा।"
यह ध्यान दिया जा सकता है कि पटना हाईकोर्ट याचिकाकर्ता कुणाल कौशल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अपनी याचिका में कुणाल कौशल ने अदालत के समक्ष प्रार्थना की थी कि तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के तहत लॉ कॉलेज में स्थायी शिक्षण संकायों के पदों को भरा जाए।
याचिकाकर्ता ने यह भी अनुरोध किया था कि वर्ष 1992 के बाद से टी.एन.बी. लॉ कॉलेज, भागलपुर में कोई भी प्रिंसिपल नहीं है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नवंबर, 2020 में राज्य सरकार सहित अन्य हितधारकों को हलफनामा दाखिल करने, बुनियादी ढांचे के अस्तित्व या अभाव के संबंध में जानकारी प्रस्तुत करने, शैक्षिक संस्थानों को चलाने के लिए अनिवार्य रूप से निर्देश देने का निर्देश दिया था।
इसके अलावा, पिछले हफ्ते बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने बिहार राज्य के भीतर सभी विश्वविद्यालयों / लॉ कॉलेजों के किए गए निरीक्षण के आधार पर मौजूदा बुनियादी ढांचे और उसके अभाव की स्थिति रिपोर्ट को संलग्न करते हुए अपना हलफनामा दायर किया।
रिपोर्ट का अध्ययन करते हुए न्यायालय ने उल्लेख किया कि (i) केंद्रीय विश्वविद्यालय, दक्षिण बिहार, गया, बिहार और (ii) चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, मीठापुर, पटना को छोड़कर अन्य सभी संस्थानों/लॉ कॉलेजों को अवसंरचनात्मक आवश्यकताओं जरूरतों को पूरा करने में कमी है।
कोर्ट का आदेश
लॉ कॉलेजों में नए प्रवेश पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने 27 शैक्षिक संस्थानों/विश्वविद्यालयों/कॉलेजों को बुनियादी ढांचे में कमी को पूरा करने के लिए निर्देश दिया, जो कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा दायर रिपोर्ट का जवाब देने के लिए है।
कोर्ट ने यह भी कहा,
"हम संस्थानों / कॉलेजों में से प्रत्येक को निर्देशित करते हैं कि बुनियादी ढांचे की कमी के कारण इसे स्थापित करने के लिए कदम उठाए। इसके अलावा, संकाय / कर्मचारियों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।"
इस मामले को अब 12 अप्रैल, 2021 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इससे पहले, सभी उपस्थित पक्षों को अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए निर्देशित किया गया है।
केस का शीर्षक - कुणाल कौशल बनाम बिहार राज्य और अन्य [Civil Writ Jurisdiction Case No.3636 of 2019]
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