केरल हाईकोर्ट ने "द केरल स्टोरी" पर रोक लगाने से इनकार किया; निर्माता विवादित टीज़र, जिसमें 32,000 महिलाओं के धर्मांतरण का दावा किया गया है, हटाने पर सहमत
केरल हाईकोर्ट ने विवादित फिल्म 'द केरल स्टोरी' की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
हालांकि, जस्टिस एन नागेश और जस्टिस सोफी थॉमस की खंडपीठ ने निर्माता की दलील दर्ज किया है कि फिल्म का टीज़र, जिसमें दावा किया गया था कि केरल की 32,000 से अधिक महिलाओं को आईएसआईएस में भर्ती किया गया था, को सोशल मीडिया से हटा दिया जाएगा।
फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि फिल्म केवल कहती है कि यह 'सच्ची घटनाओं से प्रेरित' है।
पीठ ने यह भी कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म को प्रमाणित किया है। पीठ ने फिल्म का ट्रेलर भी देखा और कहा कि इसमें किसी विशेष समुदाय के लिए कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।
पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं में से किसी ने भी फिल्म नहीं देखी है और निर्माताओं ने एक डिस्क्लेमर जोड़ा है कि फिल्म घटनाओं का एक काल्पनिक संस्करण है।
जस्टिस नागेश ने अंतरिम आदेश देने से इनकार करते हुए मौखिक रूप से कहा, "भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नाम की कोई चीज होती है। उनके पास कलात्मक स्वतंत्रता है, हमें उसे संतुलित करना होगा।"
जस्टिस नागेश ने मौखिक टिप्पणी में कहा,
"फिल्म में ऐसा क्या है जो इस्लाम के खिलाफ है? किसी धर्म के खिलाफ कोई आरोप नहीं है, बल्कि केवल आईएसआईएस संगठन के खिलाफ है।"
याचिकाकर्ताओं के अनुरोध पर खंडपीठ ने आज खुले अदालत में ट्रेलर देखा, जिसके बाद कोर्ट ने कहा, "यह काल्पनिक है। कोई भूत या वैम्पायर नहीं हैं, बड़ी संख्या में ऐसी ही फिल्में दिखाई जा रही हैं।"
जस्टिस नागेश ने मौखिक रूप से कहा, "ऐसी कई फिल्में हैं, जिनमें हिंदू संन्यासियों को तस्कर और बलात्कारी के रूप में दिखाया गया है। कोई कुछ नहीं कहता। आपने ऐसी फिल्में हिंदी और मलयालम में देखी होंगी। केरल में हम इतने धर्मनिरपेक्ष हैं। एक फिल्म थी जहां एक पुजारी एक मूर्ति पर थूकता है। और कोई समस्या पैदा नहीं हुई। क्या आप कल्पना कर सकते हैं? यह एक प्रसिद्ध अवॉर्ड विनिंग फिल्म है।"
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि "आज फिल्म का प्रभाव लोगों के दिमाग पर किताबों की तुलना में कहीं अधिक है। इससे सार्वजनिक कानून और व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा हो सकती है।"
दवे ने कहा,
"मैं भी स्वतंत्रता का प्रबल समर्थक हूं, लेकिन अगर स्वतंत्रता से निर्दोष लोगों के दिमाग में जहर घोलने और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा होने की आशंका है, तो ऐसी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।"
दवे ने अदालत से मामले की जांच करते समय बंधुत्व के संवैधानिक आदर्श को ध्यान में रखने का आग्रह किया। "समाज में भाईचारा बहुत महत्वपूर्ण है, यह बुनियादी ढांचे का हिस्सा है"।
अदालत ने टिप्पणी की कि फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है, यह केवल एक कहानी थी, जिस पर दवे ने जवाब दिया, "कृपया देखें कि कहानी का उद्देश्य क्या है। कहानी का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को खलनायक के रूप में चित्रित करना है। इक्का-दुक्का घटनाओं को सच बनाकर फिल्म नहीं बनाया जा सकता है।”
सीनियर एडवोकेट जॉर्ज पूनथोट्टम ने प्रस्तुत किया कि फिल्म का विषय केरल को सभी आतंकवादी गतिविधियों के केंद्र के रूप में पेश करना है।
हालांकि अदालत ने कहा
“आखिरकार यह एक काल्पनिक कहानी है। केवल इसलिए कि कुछ धार्मिक प्रमुखों को गलत तरीके से दिखाया गया है, यह फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का आधार नहीं हो सकता है।”
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश एडवोकेट पीए मोहम्मद शाह ने कहा कि "माता-पिता सोचेंगे कि मैं अपने बच्चों को उन छात्रावासों में नहीं भेज सकता, जिनमें मुस्लिम छात्र रहते हैं, वे कनवर्टेड हो जाएंगे। वे यहां यही धारणा बना रहे हैं।"
उन्होंने कहा,
"वे कहते हैं कि केवल हिंदू और ईसाई लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है और उनके माता-पिता को सावधान रहना चाहिए। जब वे कहते हैं कि यह एक सच्ची कहानी है, तो माता-पिता की सोच क्या होगी?"
एडवोकेट कलेश्वरम राज ने प्रस्तुत किया कि यह एक नया मामला है, जहां अदालत को इस बात पर विचार करने के लिए कहा जा रहा है कि क्या हेट स्पीच कला के रूप में हो सकती है।
फिल्म निर्माता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट रवि कदम ने कहा कि उन्होंने एक डिस्क्लेमर डाला है और कहा है कि यह काल्पनिक है।
"यह केवल सच्ची घटनाओं से 'प्रेरित' है। एक फिल्म में चीजें हमेशा नाटकीय होती हैं। अन्यथा कोई इसे नहीं देखेगा।"
जस्टिस नागेश ने कदम से पूछा कि उन्हें 32,000 महिलाओं के धर्मांतरण का आंकड़ा कहां से मिला। कदम ने जवाब दिया कि नंबर उस जानकारी पर आधारित थे, जो निर्माताओं को मिली थी; हालांकि, वह टीज़र को हटाने के लिए सहमत हो गए, जिसमें उक्त दावा किया गया था।
कोर्ट ने 2 मई, 2023 के अपने आदेश में केंद्र और फिल्म के निर्माताओं से जवाब मांगा था।
केस टाइटल: एडवोकेट अनूप वीआर वी केरल राज्य और अन्य संबंधित मामले
The Kerala High Court is set to hear the petitions challenging the release of the film 'The Kerala Story'. #KeralaHC #TheKeralaStory pic.twitter.com/k7OvXip4Xq
— Live Law (@LiveLawIndia) May 5, 2023