केरल हाईकोर्ट ने वायनाड में नरभक्षी बाघ को गोली मारने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की; 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया
केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को वह जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दिया, जिसमें प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा जारी आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई थी। उक्त आदेश में हमला करने वाले बाघ को गोली मारने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया गया था। उक्त बाघ ने वायनाड में एक किसान को आंशिक रूप से खा लिया।
चीफ जस्टिस ए.जे. देसाई और जस्टिस वी.जी. अरुण की खंडपीठ ने 25,000/- रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।
न्यायालय ने आदेश दिया,
"उपरोक्त आदेश पर विचार करते हुए, जो हमारी राय में सुविचारित आदेश है, हमें लगता है कि यह जनहित याचिका केवल याचिकाकर्ता को ज्ञात उद्देश्यों के साथ दायर की गई। हम 25,000/- रुपये के जुर्माने के साथ इस याचिका को खारिज करते हैं। राशि होगी आज (बुधवार) से दो सप्ताह की अवधि के भीतर कानूनी सहायता के साथ जमा किया जाए।''
घटना 9 दिसंबर, 2023 को हुई, जब मृतक का आंशिक रूप से खाया हुआ शरीर जंगल से 500 मीटर दूर पाया गया।
याचिकाकर्ता एनिमल एंड नेचर एथिक्स कम्युनिटी (एएनईसी) ने तर्क दिया कि मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा बाघ को पकड़ने और शांत नहीं करने की स्थिति में उसे गोली मारने का आदेश जारी किया गया।
हालांकि, न्यायालय ने पाया कि विभिन्न संचार और विशेषज्ञ समिति की रिपोर्टों को देखने के बाद ही प्राधिकरण द्वारा विवादित आदेश जारी किया गया।
इस प्रकार याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी गई।
यह याचिका वकील डेनू जोसेफ, संतोष टी.एस., मुहिसिना वी.जेड., और मंजू एम.के. के माध्यम से दायर की गई।
केस टाइटल: पशु और प्रकृति नैतिकता समुदाय (एएनईसी) बनाम भारत संघ और अन्य।
केस संख्या: WP(C) 41754/2023