केरल हाईकोर्ट ने निगमों को सामुदायिक कुत्तों के लिए चि‌‌‌न्हि‌त फीडिंग स्पेस पर साइनपोस्ट लगाने का निर्देश दिया

Update: 2021-08-12 07:10 GMT

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य की नगर पालिकाओं को समुदाय‌िक कुत्तों को खिलाने के लिए तय फीड‌िंग पॉइंट्स पर साइनपोस्ट्स लगाने का निर्देश दिया, और संबंधित पुलिस स्टेशनों को एसएचओ को ऐसे स्थानों का विवरण प्रदान करने का निर्देश दिए।

ज‌स्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस गोपीनाथ पी की एक खंडपीठ ने उक्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि यह उपाय सुनिश्चित करेगा कि जो लोग पहचाने गए स्थानों पर सामुदायिक कुत्तों को खिलाते हैं, ऐसा करते समय उन्हें किसी भी उत्पीड़न का शिकार नहीं होना पड़े, और इस तरह के किसी भी उत्पीड़न की स्थिति में, संबंधित पुलिस अधिकारी ऐसे व्यक्तियों द्वारा दर्ज की गई शिकायत का जवाब दे सकते हैं।

मामले की पिछली सुनवाई में, न्यायालय ने निगमों को कुछ क्षेत्रों को सामुदायिक कुत्तों के लिए फी‌‌डिंग पॉइंट के रूप में नामित करने का निर्देश दिया था ।

इसका जवाब देते हुए, थ्रीक्काकारा नगर पालिका ने एक हलफनामा दायर किया, जिसमें उसने अपनी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर उन स्थानों का विवरण दिया था, जिन्हें फीडिंग पॉइंट के रूप में पहचाना गया था। इसके बाद कोर्ट ने साइनपोस्ट लगाने के लिए उपरोक्त निर्देश जारी किया।

कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में से एक में राज्य को एक राज्य पशु कल्याण बोर्ड का तेजी से पुनर्गठन करने का निर्देश दिया था। अतिरिक्त महाधिवक्ता अशोक एम. चेरियन ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि राज्य पशु कल्याण बोर्ड के पुनर्गठन के आदेश दो सप्ताह के भीतर पारित कर दिए जाएंगे।

बेंच ने घोषणा की कि यह पुनर्गठन अस्थायी होगा और एक बार गठन संबंध‌ित वैधानिक आवश्यकता स्पष्ट होने के बाद संशोधन के अधीन होगा। साथ ही, राज्य को यह उपयुक्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जोर दिया गया कि बोर्ड एक सक्रिय वेब पोर्टल के साथ कार्य करे...ताकि आम जनता इसके पुनर्गठन के तुरंत बाद बोर्ड और उसके सदस्यों तक पहुंच प्राप्त कर सके।

ध्यान फाउंडेशन और दया फाउंडेशन ने पहले कोर्ट को सूचित किया था कि उनके पास पेशेवर डॉग हैंडलर हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने इन फाउंडेशनों को अपने प्रशिक्षित डॉग हैंडलर्स को थ्रीक्काकारा नगर पालिका में प्रतिनियुक्त करने और वहां घूमने वाले सामुदायिक कुत्तों को पशु आश्रयों में ले जाने का आदेश दिया, जहां योग्य पशु चिकित्सा सर्जन उन्हें पशु जन्म नियंत्रण प्रक्रियाओं के अधीन कर सकें।

हालांकि, इस बात पर जोर दिया गया था कि उक्त सामुदायिक कुत्तों को जन्म नियंत्रण प्रक्रियाओं के अधीन होने के बाद, रेबीज और अन्य संक्रामक रोगों के खिलाफ विधिवत टीका लगाया जाए, उन्हें आराम किया जाए, और फिर वापस उन्हें उसी स्थान वापस ले जाकर छोड़ दिया जाए, जहां से उन्हें उठाया गया था।

नगर पालिका को आगे निर्देश दिया गया था कि उक्त फाउंडेशनों को उपरोक्त अभ्यास को पूरा करने में सभी सहायता प्रदान करें, जिसमें ऐसे स्‍थानों की पहचान के लिए, जहां सामुदायिक कुत्ते आते हैं, उपयुक्त कर्मियों की प्रतिनियुक्ति भी शामिल है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस संबंध में फाउंडेशन द्वारा किए गए खर्चों की प्रतिपूर्ति नगर पालिका द्वारा की जाएगी।

न्यायालय के ध्यान में यह भी लाया गया कि कोच्चि निगम के स्वामित्व वाला एक पशु आश्रय स्‍थल वर्तमान में अनुपयोगी पड़ा हुआ है। इस प्रकार, कोच्चि निगम के सचिव को इस आदेश में निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए ध्यान और दया फाउंडेशन द्वारा उपयोग के लिए पशु आश्रय सुविधा खोलने के लिए तुरंत कदम उठाने का निर्देश दिया गया था।

कोर्ट ने अपने पहले के निर्देशों को दोहराया कि सभी निगम पालतू कुत्तों को अपनी-अपनी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर पंजीकृत/लाइसेंस देने के लिए तुरंत कदम उठाएंगे ।

मामले की अगली सुनवाई 3 सितंबर को होगी।

केस टाइटिल: पीएफए ​​बनाम केरल राज्य

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



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