केरल हाईकोर्ट ने 'कन्जेनिटल एड्रेनजल हाइपरप्लासिया' को दुर्लभ बीमारियों में शामिल करने के लिए स्वत: संज्ञान से जनहित याचिका शुरू की
केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को 'कन्जेनिटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया' दुर्लभ बीमारियों के समूह में शामिल करने और रोगियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वतः संज्ञान पर एक जनहित याचिका शुरू की। यह एक आनुवंशिक विकार है जो अधिवृक्क ग्रंथियों (Adrenal Glands) को प्रभावित करता है।
चीफ जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी चाली की खंडपीठ ने राज्य सरकार और उसके स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी किया और मामले को एक सप्ताह के बाद पोस्ट कर दिया।
मामला
तीन बच्चों की मां ने आर्थिक मदद के लिए एक याचिका दायर की थी। उसके दो नाबालिग बच्चे कन्जेनिटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया से ग्रसित हैं।
याचिकाकर्ता ने बताया कि उसका सबसे बड़ा बेटा 90% ऑटिस्टिक है और अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ है। वह स्कूल नहीं जा सकता है और उसे निरंतर देखभाल और सहयोग की आवश्यकता है।
राज्य की ओर से पेश अटॉर्नी एडवोकेट एन मनोज कुमार ने मामले में प्रतिवादियों की ओर से नोटिस स्वीकार कर लिया और इस संबंध में निर्देश मांगने के लिए समय मांगा।
एक हफ्ते के बाद मामला पोस्ट किया गया है।
केस टाइटल: स्वतः संज्ञान बनाम केरल राज्य और अन्य।