सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी की बैठक, लॉकडाउन में अर्जेंट मामलों की सुनवाई पर जोर

Update: 2020-04-04 11:19 GMT

सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी की बैठक शनिवार को हुई, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्‍चित करना था कि लॉकडाउन की अवधि में अर्जेंट मामलों की सुनवाई होती रहे और सुनवाई के लिए सूचीबद्ध अन्य मामलों के लिए पार्टियों को कोर्ट में आने की आवश्यकता नहीं है।

चेयरपर्सन डॉ जस्टिस चंद्रचूड़ ने उच्च न्यायालयों द्वारा अपने कार्यक्षेत्रों में शुरु किए गए उपायों की समीक्षा की। उन्होंने पाया कि कई राज्यों को ई-फाइलिंग में, वर्चुअल कोर्ट के संचालन में और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामलों की सुनवाई में कठिनाइयां आ रही हैं, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालयों की कंप्यूटर समितियों के अध्यक्षों की एक बैठक का प्रस्ताव रखा। ई-समिति के सदस्य श्री रमेश बाबू ने उच्च न्यायालयों की कम्प्यूटरीकरण परियोजनाओं के सभी मुख्य परियोजना समन्वयकों से संपर्क किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी को बैठक के अस्थायी एजेंडे की जानकारी दी जा चुकी है।

उच्च न्यायालयों के सुझावों को शामिल करने के बाद बैठक के लिए निम्नलिखित एजेंडा तैयार किया गया है:

1. यह सुनिश्चित करना कि लॉकडाउन का देश की सभी अदालतों में अर्जेंट मामलों की सुनवाई पर असर न पड़ेः

a) सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 6 के अनुरूप ई-फाइलिंग को सक्षम बनाना।

b)वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जर‌िए अर्जेंट मामलों की सुनवाई की व्यवहार्यता पर विचार करना।

c)अदालत परिसरों के प्रवेश द्वार पर स्थित इमारतों में ई-फाइलिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के सुविधा केंद्र उपलब्‍ध कराना, साथ ही उन्हें उन्हें प्रतिदिन कीटाणु-रहित कराना।

d)यदि ऐसी इमारतें उपलब्ध नहीं हैं, तो प्रवेश द्वारों पर पोर्टा-केबिन स्थापित करने पर विचार करना।

e) लॉकडाउन अवधि में जरूरी मामलों की ई-फाइलिंग, स्कैनिंग और अपलोडिंग की सुविधा, जहां तक ​​संभव हो, मुफ्त उपलब्ध कराना।

f) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए कम से कम दो क्यूबिकल्स प्रदान करना, जिनमें धन की उपलब्‍धता के अनुसार डेस्कटॉप, कैमरा आदि की व्यवस्‍था करना।

g)अथॉरिटी का इस उद्देश्य के लिए ई-कोर्ट परियोजना के चरण II के खर्च नहीं किए गए धन का उपयोग करने के लिए वित्तीय मानदंडों का पालन करना और ई-समिति/न्याय विभाग की एक्स-पोस्ट फैक्टों स्वीकृति प्राप्त करना।

h) उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों अपने घरों/आवासीय कार्यालयों से सुनवाई करने के लिए प्रेरित करना।

i) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए उपलब्ध विकल्पों का उपयोग करने के लिए सभी उच्च न्यायालयों को स्वयं निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करना।

2. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज‌रिए खुली सुनवाई कर रही अदालतों की आवश्यकता पर ध्यान देना।

3. CIS 3.2 के मामलों की ऑटोमैटिक पोस्टिंग के लिए लेटेस्ट सॉफ्टवेयर पैच का उपयोग।

4. वर्चुअल कोर्ट का क्रियान्वयन:

मोटर वाहन अधिनियम के तहत ई-चालान के लिए वर्चुलअल कोर्ट के अलावा, उच्च न्यायालय अन्य समरी मामलों के लिए वर्चुअल कोर्ट के उपयोग पर विचार कर सकते हैं। कोई भी कठिनाई हो, उसे ई-समिति के ध्यान में लाया जाए, जो सॉफ्टवेयर को बढ़ाएगी।

5. लॉकडाउन अवधि का प्रयोग लंबि‌त लंबित हाउस-कीपिंग गतिविधियों के लिए किया जाए,

जैसे अब तक जहां भी सीआईएस 3.2 के लिए माइग्रेशन नहीं हो सका है, वहां किया जाए।

6. चेयर की अनुमति से कोई अन्य विषय।

उच्च न्यायालयों की कंप्यूटर समितियों के अध्यक्षों ने अपने राज्यों की स्थिति की समीक्षा की और डॉ जस्टिसचंद्रचूड़ की अध्यक्षता में बैठक में भाग लिया।

निम्नलिखित अध्यक्षों ने बैठक में भाग लिया:

तेलंगाना हाईकोर्ट: जस्टिस राघवेन्द्र सिंह चौहान, मुख्य न्यायाधीश

पटना हाईकोर्ट: जस्टिस संजय करोल, मुख्य न्यायाधीश

इलाहाबाद हाईकोर्ट: जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा

बॉम्बे हाईकोर्ट: जस्टिस एनएम जमदार

कलकत्ता हाईकोर्ट: जस्टिस संजीब बनर्जी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट: जस्टिस मणींद्र मोहन श्रीवास्तव

दिल्ली हाईकोर्ट: जस्टिस राजीव शकधर

गुजरात हाईकोर्ट: जस्टिस बेला एम त्रिवेदी

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट: जस्टिस तरलोक सिंह चौहान

झारखंड हाईकोर्ट: जस्टिस हरीश चंद्र मिश्रा

जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट: जस्टिस राजेश बिंदल

कर्नाटक हाईकोर्ट: जस्टिस अरविंद कुमार

केरल हाईकोर्ट: जस्टिस ए मुहमद मुस्ताक

मद्रास हाईकोर्ट: जस्टिस टी एस शिवगणानम

मेघालय हाईकोर्ट: जस्टिस हमरसन सिंह थंगख्वी

मणिपुर हाईकोर्ट: जस्टिस ख नोबिन सिंह

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट: जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा

उड़ीसा हाईकोर्ट: जस्टिस बिस्वजीत मोहंती

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट: जस्टिस अजय तिवारी

राजस्थान हाईकोर्ट: जस्टिस अरुण भंसाली

सिक्किम हाईकोर्ट: जस्टिस भास्कर राज प्रधान

त्रिपुरा हाईकोर्ट: जस्टिस एस तलपत्रा

उत्तराखंड हाईकोर्ट: जस्टिस मनोज कुमार तिवारी

सभी अध्यक्षों ने बैठक में अपने राज्यों की चुनौतियों और उपायों की जानकारी दी। डॉ जस्टिस चंद्रचूड़ के सुझाव से सभी सहमत थे कि लॉकडाउन समाप्‍त होने के बाद प्रौद्योगिकी के उपयोग को संस्थागत बनाया जाना चाहिए। डॉ जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक ई-फाइलिंग मॉड्यूल की जानकारी भी दी, जो सर्वोच्च न्यायालय में विकसित किया जा रहा है। ट्रायल कोर्ट के लिए भी एक ई-फाइलिंग मॉड्यूल विकसित किया गया है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने बैठक में यह भी सुझाव दिया कि उच्च न्यायालय उन उपयोगी वस्तुओं को साझा कर सकते हैं, जिन्हें उन्होंने विकसित किया है और जिन्हें अन्य अदालतों में भी उपयोग किया जा सकता है। बैठक में, जहां कहीं भी उपलब्ध हो, वहां सुविधा केंद्रों का पूर्ण उपयोग, या पोर्टा केबिन में कोर्ट कॉम्प्लेक्सों के प्रवेश द्वारों पर ई-फाइलिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग युक्त सुविधा केंद्र बनाने का सुझाव दिया गया।

डॉ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुझाव दिया कि उच्च न्यायालय वित्तीय मानदंडों का पालन करते हुए तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के द्वितीय चरण से अप्रयुक्त धन का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि धन या सॉफ्टवेयर की मांग को तुरंत ई-समिति द्वारा संसाधित किया जाएगा और न्याय विभाग को भेज दिया जाएगा।

डॉ जस्टिस चंद्रचूड़ ने उच्च न्यायालयों के कंप्यूटर समितियों के अध्यक्षों के मार्गदर्शन में सभी अदालतों के अधिकारियों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। अध्यक्षों ने सहमति व्यक्त की कि वे तुरंत तय किए गए एजेंडे पर काम करना शुरू कर देंगे। ई समिति के उपाध्यक्ष जस्टिस आर सी चव्हाण ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद बैठक संपन्न हुई।

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