पत्रकार का मोबाइल फोन प्रक्रिया का पालन किए बिना सिर्फ इसलिए जब्त नहीं किया जा सकता क्योंकि उसमें किसी अपराध के बारे में कुछ जानकारी है: केरल हाईकोर्ट

Update: 2023-07-11 04:06 GMT

केरल हाईकोर्ट ने कानून के मुताबिक उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना पत्रकार का मोबाइल फोन जब्त करने के लिए सोमवार को राज्य पुलिस को कड़ी फटकार लगाई।

जस्टिस पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने कहा कि यदि किसी आपराधिक मामले के संबंध में किसी पत्रकार का मोबाइल फोन जब्त करना आवश्यक है तो इसके लिए प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता 'मंगलम डेली' के सीनियर जर्नालिस्ट जी. विशाखान ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उनके घर की तलाशी ली और उनसे यूट्यूब चैनल मारुनादान मलयाली के संपादक और प्रकाशक शाजन स्कारिया के बारे में पूछा। इसके बाद उसका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया गया।

याचिकाकर्ता का कहना है कि पत्रकार के रूप में मोबाइल फोन उनकी आजीविका का एकमात्र स्रोत है।

जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा,

"पत्रकार राज्य का चौथा स्तंभ हैं। पत्रकार को अपने मोबाइल फोन पर कई सूचनाएं मिल रही होंगी। लेकिन कौन-सी खबर प्रसारित और प्रकाशित की जानी है, यह पत्रकार को प्राप्त जानकारी को ध्यान में रखते हुए तय करना है। हर सूचना का प्रसारण, भले ही वह हो अफवाह पत्रकारिता नहीं है। सिर्फ इसलिए कि पत्रकार को अपराध के बारे में कुछ जानकारी मिल गई है, सीआरपीसी में विचारित प्रक्रिया का पालन किए बिना मोबाइल फोन जब्त नहीं किया जा सकता। इस मामले में इस आशय का आरोप है कि याचिकाकर्ता और यहां तक कि उसके परिवार सदस्यों को परेशान किया जाता है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।''

याचिकाकर्ता का तर्क है कि यदि प्रतिवादी-पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई तलाशी सीआरपीसी की धारा 156 के दायरे में आती है तो यह सीआरपीसी की धारा 41ए के दायरे में आती है। इस प्रकार पुलिस अधिकारी की स्वतंत्रता सीआरपीसी की धारा 41ए के अधीन है। याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया कि वर्तमान मामले में उत्तरदाताओं द्वारा उक्त प्रावधान का पालन नहीं किया गया।

याचिका में कहा गया,

"तो उपरोक्त तथ्यात्मक मैट्रिक्स और कानूनी प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में यह स्पष्ट है कि उत्तरदाताओं 5 से 7 (पुलिस अधीक्षक, SHO. एलमक्कारा और SHO, पथानामथिट्टा) द्वारा उत्तरदाताओं 3 और 4 (क्रमशः पुलिस आयुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त) के कहने पर तथाकथित तलाशी ली गई, जो अवैध है और जिसके लिए यहां प्रतिवादी कानून की नजर में गंभीर और सामूहिक रूप से जिम्मेदार और जवाबदेह हैं।''

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि वह स्कारिया से जुड़े अपराध में आरोपी नहीं है और आज तक जांच एजेंसी द्वारा उक्त अपराध में उसे जोड़ने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है।

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि पत्रकारों के बीच न्यूज शेयर करना सामान्य प्रथा है, लेकिन यह भी कहा कि हाल ही में याचिकाकर्ता को न्यूज शेयर करने के लिए स्कारिया से कोई पारिश्रमिक नहीं मिला और कुछ अन्य स्रोत उसके साथ न्यूज शेयर कर रहे थे।

याचिका में कहा गया,

"हालांकि, इस तरह का संपर्क और सांठगांठ किसी व्यक्ति/पत्रकार पर किसी अपराध को अंजाम देने या उस पत्रकार के साथ आपराधिक इरादे साझा करने का संदेह करने का उचित आधार नहीं है, जिस पर अपराध का आरोप है।"

इन्हीं आधारों पर याचिकाकर्ता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि उसे परेशान न किया जाए या उसके घर में कोई तलाशी न ली जाए और राज्य अधिकारियों को पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया जाए।

अदालत ने पथानामथिट्टा के स्टेशन हाउस ऑफिसर को इस मामले में एक बयान दर्ज करने का निर्देश दिया कि किन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता का मोबाइल फोन जब्त किया गया।

मामले को आगे विचार के लिए 21 जुलाई, 2023 को पोस्ट किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील बी. जयसूर्या और मिनी वी.ए. पेश हुए।

केस टाइटल: जी. विशकन बनाम केरल राज्य एवं अन्य।

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