हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी की सर्जरी के वक्त मौजूद रहने के लिए NDPS आरोपी की जमानत अवधि बढ़ाई
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने यह स्वीकार करते हुए कि नाबालिग बच्चे की सर्जरी के दौरान बड़े पुरुष अभिभावक की उपस्थिति आवश्यक है, याचिकाकर्ता को अल्पकालिक रिहाई आदेश दिया, जो NDPS Act के तहत आरोपी है।
जस्टिस राहुल भारती की पीठ ने कहा कि न्यायालय इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि बीमार बेटी की सर्जरी/अस्पताल में भर्ती होने के लिए परिवार के बड़े पुरुष सदस्य की उपस्थिति नागरिक और सामाजिक व्यवस्था की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए एक आम बात है, जिसका हम सभी हिस्सा हैं।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता एकमात्र अभिभावक है, जिसे उसकी बीमारी का इलाज करना है।
कोर्ट ने कहा कि प्रिंसिपल सेशन जज को जमानत अवधि बढ़ाकर याचिकाकर्ता पर न्यायिक भरोसा जारी रखना चाहिए था, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि डॉक्टरों द्वारा बुखार की रिपोर्ट के कारण उसकी बेटी की सर्जरी स्थगित कर दी गई थी।
कोर्ट ने आगे कहा कि सेशन कोर्ट को याचिकाकर्ता की ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाना चाहिए था, क्योंकि पहले के आदेश उस समय दिए गए, जब याचिकाकर्ता हिरासत में था। उसकी पत्नी उसका ख्याल रख रही थी।
कोर्ट ने कहा कि शायद याचिकाकर्ता की ओर से पहले पेश हुए वकील न्यायालय के समक्ष तथ्यों को एक साथ नहीं रख पाए, जिसके लिए याचिकाकर्ता को जमानत अवधि बढ़ाने से इनकार करने का पूर्वाग्रह नहीं सहना चाहिए।
कोर्ट ने प्रिंसिपल सेशन जज को याचिकाकर्ता को 20 दिनों की अवधि के लिए अल्पकालिक जमानत अवधि बढ़ाने का निर्देश दिया, जिससे वह मानवीय आधार पर अपनी बेटी की सर्जरी में शामिल हो सके।
केस-टाइटल: आसिफ अमीन थोकर बनाम यूटी ऑफ जेएंडके, 2025