"मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर आघात होगा": केरल हाईकोर्ट ने 14 वर्षीय बलात्कार पीड़ित की 28 सप्ताह की प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने की अनुमति दी
केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को 14 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की 28 सप्ताह की प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने की मांग को लेकर दायर रिट याचिका को अनुमति दी।
जस्टिस वी.जी. अरुण ने रिट की अनुमति देते हुए मेडिकल बोर्ड की प्रेग्नेंसी की मेडिकल टर्मिनेशन की सिफारिश को नोट करते हुए कहा,
"गर्भावस्था जारी रखने से लड़की के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर चोट लग सकती है।"
मामला 12.08.2022 को जब सुनवाई के लिए आया तो अदालत ने पीड़िता की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी के लिए याचिका दायर करने का आदेश दिया। बोर्ड ने सिफारिश की कि प्रेग्नेंसी जारी रखने से लड़की के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर चोट पहुंचेगी, जिसे कोर्ट ने अनुमति दी।
कोर्ट ने इस संबंध में निर्देश जारी करते हुए याचिकाकर्ता को सरकारी अस्पताल में पीड़िता का गर्भपात कराने की अनुमति दे दी। हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट को अदालत के वर्तमान आदेश को पेश करने पर प्रक्रिया के संचालन के लिए मेडिकल टीम गठित करने के लिए तत्काल उपाय करने का निर्देश दिया गया।
याचिकाकर्ता को मेडिकल टीम को उसके जोखिम पर सर्जरी करने के लिए अधिकृत करते हुए उपयुक्त अंडरटेकिंग दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया।
कोर्ट ने कहा कि यदि बच्चा जन्म के समय जीवित पैदा होता है तो अस्पताल को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्वस्थ बच्चे के विकास को सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए सर्वोत्तम मेडिकल उपचार उपलब्ध कराया जाएगा। इस घटना में याचिकाकर्ता बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है तो राज्य और उसकी एजेंसियों को ध्यान में रखते हुए बच्चे के सर्वोत्तम हित और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 में वैधानिक प्रावधान" को ध्यान में रखते हुए इसकी "पूरी जिम्मेदारी लेने और बच्चे को मेडिकल सहायता और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया।
इस मामले में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व एडवोकेट बाबू पॉल और मुरली मनोहर ने किया।
केस टाइटल: XXXXXXXXXX बनाम भारत संघ और अन्य।
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (केरल) 438
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