गुवाहाटी हाईकोर्ट ने CLAT-PG रैंकिंग के माध्यम से IOCL लॉ ऑफिसर की नियुक्ति बरकरार रखी

Update: 2022-08-13 06:33 GMT

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) द्वारा CLAT-PG रैंकिंग के माध्यम से सीनियर लॉ ऑफिसर के पदों को भरने के लिए पिछले महीने जारी विज्ञापन को बरकरार रखा।

जस्टिस माइकल ज़ोथनखुमा की एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि नियोक्ता को अच्छी तरह से पता होगा कि उन्हें किस प्रकार के उम्मीदवार की आवश्यकता है। नियोक्ता में उम्मीदवार के लिए आवश्यक योग्यता निर्धारित करने में कोई भेदभाव या मनमानी नहीं है।

कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि मानदंड अवसर की समानता खंड का उल्लंघन है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 में कहा गया है।

कोर्ट ने कहा,

"यह अदालत उन सभी व्यक्तियों के लिए प्रतिवादियों की कार्रवाई को मनमाना नहीं मानती, जो एलएलबी पास कर चुके हैं या CLAT पास कर चुके हैं।"

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कुलीन कानून संस्थानों में पढ़े और CLAT कंसोर्टियम का हिस्सा रहे कुछ उम्मीदवार इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस कारण याचिकाकर्ता और अन्य प्रतिभागी प्रक्रिया में शामिल होने से छूट गए।

उन्होंने ऐश्वर्या मोहन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया कि पीएसयू में लॉ ऑफिसर के पद पर आवेदन करने के लिए आवेदकों को CLAT क्लियर करने की शर्त संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन है।

हालांकि, हाईकोर्ट ने उल्लेख किया कि इस निर्णय को केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पलट दिया था। इसमें कहा गया कि अनुच्छेद 14 के तहत समानता की गारंटी का अर्थ यह नहीं हो सकता कि नियोक्ता को अधिकार दिए बिना सभी को योग्य बनाने के लिए योग्यता निर्धारित की जानी चाहिए। वह उसे चुने जिसे चुने जाने वाले कार्य की प्रकृति को देखते हुए वह सर्वोत्तम योग्यता मानता है। इसने आगे कहा कि संविधान का अनुच्छेद 16 केवल अवसर की समानता की बात करता है न कि समानता प्राप्त करने के अवसर की।

फैसले में कहा गया:

कोर्ट ने चीफ मैनेजर, पंजाब नेशनल बैंक और अन्य बनाम अनीत कुमार दास और महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग, सचिव बनाम संदीप श्रीराम वरडे और अन्य मामले का भी संदर्भ दिया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने माना कि किसी भी पद के लिए योग्यता की प्रासंगिकता और उपयुक्तता निर्धारित करना नियोक्ता के लिए है। यह न्यायालयों के लिए विचार और मूल्यांकन करने के लिए नहीं है।

उपरोक्त के आधार पर न्यायालय ने रिट याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटल: आरिफ अहमद बनाम भारत संघ और तीन अन्य

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