सुनवाई के दौरान व्यक्ति ने मजिस्ट्रेट पर तानी बंदूक, हाईकोर्ट ने आर्म्स लाइसेंस रद्द करने का फैसला रखा बरकरार
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने पुंछ के निर्वाचित जिला विकास परिषद (DDC) सदस्य को जारी किए गए आर्म्स लाइसेंस रद्द करने का फैसला बरकरार रखा। न्यायालय ने पाया कि उसने आधिकारिक कार्रवाई के दौरान तहसीलदार और SDM व SDPO सहित अतिक्रमण विरोधी टीम पर अपनी लाइसेंसी पिस्तौल तान दी थी।
जस्टिस एम.ए. चौधरी की पीठ ने कहा कि यह मामला किसी निजी शिकायत से संबंधित नहीं है, बल्कि एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट द्वारा सीनियर प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में दर्ज की गई घटना से संबंधित है।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता में "इतना साहस दिखाने की हिम्मत थी कि उसने प्रशासनिक अधिकारियों को भी नहीं बख्शा।"
न्यायालय ने दोहराया कि हालांकि केवल आपराधिक मामले का लंबित होना लाइसेंस रद्द करने के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन लाइसेंसी बन्दूक का उपयोग करके किसी जघन्य कृत्य में संलिप्तता, विशेष रूप से कानून-व्यवस्था लागू करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध आर्म्स एक्ट की धारा 17(3)(बी) के तहत निरस्तीकरण को उचित ठहराती है।
जज ने कहा,
"बन्दूक का लाइसेंस रखना कोई मौलिक अधिकार नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा कि किसी गंभीर अपराध में दुरुपयोग जैसे ठोस कारणों से इस विशेषाधिकार को अस्वीकार या वापस लिया जा सकता है।
Case-Title: Wajid Bashir Khan vs Union Territory of Jammu & Kashmir, 2025