सुनिश्चित करें कि 'कुंभ मेला' से COVID-19 का फैलाव नहीं होगा, COVID-19 टेस्ट अनिवार्य: उत्तराखंड हाईकोर्ट
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा सार्वजनिक रूप से घोषणा किए जाने के कुछ दिनों बाद कि तीर्थयात्रियों को कुंभ मेले के लिए COVID-19 टेस्ट रिपोर्ट लाने की आवश्यकता नहीं होगी, हाईकोर्ट ने बुधवार (24 मार्च) को COVID-19 को अनिवार्य कर दिया।
हालांकि, मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि राज्य सरकार ने अब एक आधिकारिक आदेश जारी कर श्रद्धालुओं को हरिद्वार में जारी कुंभ मेले में शामिल होने के लिए 72 घंटे से पहले एक COVID-19 निगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य है।
मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को सतर्कता बरतने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि महाकुंभ मेला COVID-19 महामारी के प्रसार के कारण में न बदल जाए।
राज्य सरकार की रिपोर्ट
राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का उपयोग करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कुंभ मेला क्षेत्र में शामिल तीन अलग-अलग जिलों (ऋषिकेश कुंभ क्षेत्र, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल) में दी जा रही सुविधाओं में सुधार करने की सख्त आवश्यकता है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि कुंभ मेला क्षेत्र में कुछ सामान्य कमियां मौजूद हैं।
वहीं हाईकोर्ट को मुख्य सचिव ने अंडरटेकिंग दिया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए एसओपी का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा।
उन्होंने आगे बताया कि राज्य सरकार इस बात पर जोर देगी कि देश के कोने-कोने से आने वाले तीर्थयात्रियों को मेडिकल रिपोर्ट लानी जरूरी होगी, जिससे इस बात का पता चल सके कि वे COVID-19 पॉजिटिव नहीं हैं।
विभिन्न पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों और दीपक रावत, भोजन अधिाकरी द्वारा दायर किए गए हलफनामे के माध्यम से जाने के बाद न्यायालय ने निम्न निर्देश जारी किए: -
1. मुख्य सचिव हरिद्वार, देहरादून, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल जिलों के जिलाधिकारियों की एक बैठक बुलाए और अन्य आवश्यक अधिकारियों के साथ मिलकर उनकी क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा करे, जो कुंभ मेला क्षेत्र में शामिल है।
2. सुनिश्चित करें कि संबंधित व्यक्तियों को क्षेत्रों की मरम्मत और नवीनीकरण के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं या नहीं।
3. सुनिश्चित करें कि महिला घाटों की देखरेख और नियंत्रण महिला पुलिसकर्मियों (वर्दी और सादा कपड़ों में) द्वारा की जा रही है यानी नहीं।
4. गंगा नदी में स्नान करते समय किसी भी व्यक्ति के साथ फोटो खिंचवाने या उसकी वीडियो बनाने कोशिश करने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
5. महिला घाट में पर्याप्त संख्या में चेंजिंग रूम बनाए जाएंगे। इसके अलावा, सभी घाटों में पर्याप्त संख्या में मूत्रालय, शौचालय उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि तीर्थयात्रियों की व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा किया जा सके
6. कुंभ मेला प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि लोग प्रत्येक घाट के प्रवेश बिंदु पर प्रतिनियुक्त हों, जो घाट में प्रवेश करने वाले तीर्थयात्रियों / आगंतुकों के तापमान की जाँच के लिए थर्मल मशीन का उपयोग करेंगे।
7. सुनिश्चित करें कि जो लोग घाट से आने और जाने वाले हैं, उनके लिए पर्याप्त सैनिटाइज़र का उपयोग किया जाए।
8. सुनिश्चित करें कि प्रत्येक तीर्थयात्री/आगंतुक घाटों से ऊपर जाते समय मास्क पहने हुए हों।
9. घाटों के पास या कुंभ मेला क्षेत्र में रणनीतिक स्थानों पर डॉक्टरों और नर्सों के रहने के लिए पर्याप्त संख्या में मेडिकल कैंप बनाए जाने चाहिए।
10. तीर्थयात्रियों/आगंतुकों को टीका लगाने की सुविधाएं बनाई जानी चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर वरिष्ठ नागरिकों को कुंभ मेले में जाने के दौरान टीका लगाया जा सके।
11. राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए एसओपी का अक्षर और भाव दोनों का सख्ती से पालन किया जाए।
12. राज्य को इस बात पर जोर देना चाहिए कि किसी भी तीर्थयात्री/आगंतुक को हरिद्वार, ऋषिकेश कुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश करने या राज्य में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक औरव्यक्ति चिकित्सा प्रमाण पत्र नहीं लेता है। इससे यह स्पष्ट किया जा सके कि वह COVID-19 पॉजिटिव नहीं है।
कोर्ट ने यह भी कहा,
"पहले से ही देश के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से दक्षिणी हिस्से में COVID-19 महामारी फिर से अपना सिर उठा रही है, जो किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। इसलिए, महामारी हम सभी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। कुछ दक्षिणी और राजस्थान जैसे उत्तरी राज्यों ने आंशिक लॉकडाउन लगाना शुरू कर दिया है। "
अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट संकेत है कि हम फिर से उस चरण में प्रवेश कर रहे हैं, जहां देश COVID-19 महामारी का सामना करेंगे।
"यह न्यायालय राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए एसओपी को सबसे सख्त रूप में लागू किया जाता है।"
मामले की अगली सुनवाई अब 31 मार्च 2021 को होगी।
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