सुनिश्चित करें कि कैदी अपनी भाषा में KIOSK का उपयोग कर सकें: मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

Update: 2023-01-16 07:38 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य को जेलों के अंदर KIOSK लगाने का निर्देश दिया, जिससे कैदियों को अपने मामलों की स्थिति जानने में मदद मिलेगी। अदालत ने कहा कि भले ही अदालत के पहले के निर्देश के अनुसार केंद्रीय कारागार पुझाल में इस तरह के KIOSK लगाए गए, लेकिन केवल हिंदी और अंग्रेजी भाषा ही उपलब्ध है, जिसे समझने में कैदियों को कठिनाई होती है।

जस्टिस सुंदर मोहन ने इस प्रकार अधिकारियों को अंग्रेजी और तमिल में भाषाओं को बदलने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र से संपर्क करने का निर्देश दिया ताकि तमिलनाडु में KIOSK उपयोगी हो।

चूंकि चार महीने के भीतर इस प्रैक्टिस को पूरा करने के इस न्यायालय के पहले के निर्देश का पालन नहीं किया गया, इसलिए यह न्यायालय प्रतिवादियों को तारीख से दो (2) सप्ताह की अवधि के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए निर्देश जारी करना आवश्यक समझता है। इस आदेश की एक प्रति प्राप्त होने पर सभी जेलों में KIOSK मशीन लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में और कैदियों को इन तक पहुंचने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से तमिल भाषा को शामिल करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताएं।

अदालत उस मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें व्यक्ति ने आठ महीने से अधिक समय तक अपने बेटे को अवैध रूप से हिरासत में रखने के लिए अंतरिम मुआवजे की मांग की। शिकायतकर्ता का बेटा छोकर हत्या के मामले में दूसरा आरोपी है, उसको निचली अदालत ने दोषी ठहराया।

हालांकि, जब पहला अभियुक्त अपील के लिए गया तो सजा रद्द कर दी गई और उसे बरी कर दिया गया। अदालत ने कहा कि चूंकि छोकर को भी इसी आधार पर दोषी ठहराया गया, इसलिए वह भी बरी होने का हकदार है। हालांकि उसने अपील को प्राथमिकता नहीं दी। इस प्रकार अदालत ने छोकर को जेल से रिहा करने का निर्देश दिया।

हालांकि, छोकर नौ महीने तक पुलिस हिरासत में रहा, जिसके बाद उसके पिता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसके वकील ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि याचिकाकर्ता के बेटे को बरी किए जाने के आदेश की जानकारी नहीं है। उन्होंने भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो इसके लिए कई सुझाव दिए। इसमें स्थानीय भाषा का समर्थन करने वाले KIOSK लगाना भी शामिल है।

कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी-अधिकारी तमिल भाषा सहित KIOSK मशीनों को लगाने के लिए बाध्य हैं और देरी का कोई कारण स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने छोकर के लिए अंतरिम मुआवजे का भी आदेश दिया।

केस टाइटल: रथिनम बनाम राज्य

केस नंबर: WP (MD).No.10524 of 2020

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