'कुत्ते तभी आक्रामक होते हैं, जब उन्हें भूख या प्यास लगी हो': केरल हाईकोर्ट ने सामुदायिक कुत्तों के लिए फीडिंग सेंटर बनाने का निर्देश दिया
केरल में तीन युवकों द्वारा एक कुत्ते की निर्दयतापूर्वक हत्या किए जाने के बाद केरल हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की गई सुनवाई में राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वो क्षेत्र में, विशेषकर सामुदायिक कुत्तों के लिए फीडिंग सेंटरों की स्थापना के लिए तेजी से कदम उठाए।
जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस पी गोपीनाथ की पीठ ने सुनवाई के दरमियान कहा, "कुत्ते तभी आक्रामक होते हैं, जब वे भूखे या प्यासे हों। उन्हें भोजन और पानी की तलाश है। हम उनके लिए फीडिंग सेंटर्स की पहचान कर सके तो आधी समस्या हल हो जाएगी।"
राज्य में पशुओं की भलाई के मसले पर विचार करते हुए बेंच ने कहा कि कुत्तों के लिए खाद्य स्थल स्थापित करने से यह सुनिश्चित होगा कि वे कॉलोनी के निवासियों पर हमला ना करें, साथ ही निवासियों में भी कुत्तों के प्रति डर खत्म होगा।
हालांकि, कोर्ट ने निर्देश दिया कि केवल उन्हीं संगठनों या एनजीओ को, जो एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया के साथ पंजीकृत हैं, उन्हें भोजन या जन्म नियंत्रण जैसी गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। कोर्ट ने राज्य को आगे निर्देश दिया कि वह मालिकों को अपने पालतू जानवरों को स्थानीय निकायों के साथ पंजीकरण कराने और तेजी से लाइसेंस पाने के लिए परिपत्र जारी करे।
इस बीच, एमिकस क्यूरी एडवोकेट सुरेश मेनन ने पीठ को सूचित किया कि फिलहाल राज्य में केवल सात पशु कल्याण संगठन और चार निजी आश्रय हैं, जो AWBI के साथ पंजीकृत हैं।
सबमिशन के अनुसार, बेंच ने यह भी सहमति व्यक्त की कि केवल घायल या बीमार कुत्तों को ही इलाज और देखभाल के लिए आश्रय स्थलों में रखा जा सकता है, जबकि अन्य को बंध्या किया जा सकता है और छोड़ा जा सकता है।
अदालत का ध्यान इस बात की ओर दिलाया गया कि इन पंजीकृत आश्रय स्थलों के अलावा, निजी आवासों में 17 आश्रय स्थल चलाए जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने बताया कि इन निजी आश्रय स्थलों के मालिकों को स्थानीय निवासियों और नगरपालिका अधिकारियों द्वारा परेशान किया जाता है।
इस पर कोर्ट ने जवाब दिया, 'हालांकि परोपकार उनका मकसद हो सकता है और यह सराहनीय है, हमें यह भी देखना होगा कि क्या ये निजी आश्रय स्थल सामुदायिक कुत्तों को समायोजित करने के लिए उपयुक्त हैं। संतुलन बनाना होगा।"
बेंच ने सुझाव दिया कि सभी सामुदायिक कुत्तों को थ्रीक्काक्कारा से पकड़ा जा सकता है और उन्हें निजी पशु आश्रय स्थलों या स्थानीय निकाय द्वारा चलाए जा रहे पशु आश्रय स्थलों में रखा जा सकता है। हालांकि, इस बात पर जोर दिया गया कि नगर पालिका इन निजी संगठनों द्वारा ऐसा करने के लिए वहन किए जाने वाले आकस्मिक शुल्क को वहन करेगी।
एक पशु कल्याण संगठन, DAYA की वकील एडवोकेट उमा देवी ने पहले अपने मुवक्किल के संस्थान में कुछ सामुदायिक कुत्तों को समायोजित करने का सुझाव दिया था। हालांकि, शुक्रवार की सुनवाई में, उन्होंने प्रस्तुत किया कि उनकी सुविधाओं पर पूरी तरह भर चुकी हैं, लेकिन उन्होंने पेशेवर रूप से कुत्ते को पकड़ने के लिए प्रशिक्षित तीना डॉग हैंडलर्स को प्रदान करने की पेशकश की।
जिसके बाद बेंच ने राज्य और नगर पालिका को निर्देश दिया कि वे फीडिंग सेंटर स्थापित करने और निजी आश्रय स्थलों में कुत्तों के पुनर्वास के संबंध में निर्देश लें।
आज की सुनवाई में, एमिसी क्यूरिया, सीनियर एडवोकेट एस रमेश बाबू और एडवोकेट टीसी सुरेश मेनन ने न्यायालय को सूचित किया कि त्रिक्कक्कारा में नगरपालिका यार्ड से सौ से अधिक कुत्तों के शवों की बरामदगी पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करने में राज्य की दयनीय विफलता को प्रकट करती है। .
रिपोर्ट में अन्य प्रस्तुतियां
उन्होंने आज जो रिपोर्ट दायर की, उसमें पशु अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य में कार्यपालिका और विधायिका की निष्क्रियता को भी दर्शाया गया है।
रिपोर्ट में कुदुम्बश्री डिस्ट्रिक्ट मिशन से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा किया, जिसके अनुसार थ्रिकक्कारा नगरपालिका के लिए, जहां सामुदायिक कुत्तों का नरसंहार हुआ था, वहां कोई डेटा उपलब्ध नहीं था कि कितने कुत्तों को एबीसी कार्यक्रम के अधीन किया गया था और इसके लिए नगर पालिका द्वारा कितना खर्च किया गया।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि एबीसी कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए नगर पालिका के भीतर कोई सुविधा नहीं थी।
लेकिन रिपोर्ट अदालत के इस सुझाव से सहमत थी कि नसबंदी कार्यक्रमों में वैज्ञानिक तरीके से सामुदायिक कुत्तों की संख्या को कम करने के अलावा व्यवहार संबंधी चिंताओं को कम करने की क्षमता है।
इसने इस बात पर भी निराशा व्यक्त की कि कैसे स्थानीय निकाय अपनी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर आश्रय स्थापित करने के लिए बहुत कम प्रयास कर रहे हैं। इसलिए, रिपोर्ट ने सभी स्थानीय निकायों को गैर-सरकारी संगठनों और अन्य संगठनों द्वारा सामुदायिक कुत्तों की नसबंदी और उपचार की लागत को कवर करने का सुझाव दिया है।
अदालत ने पिछली सुनवाई पर पशु मालिकों को अपने पालतू जानवरों को स्थानीय निकायों के साथ पंजीकृत करने का निर्देश दिया था। राज्य में पशु अधिकारों की सुरक्षा के लिए न्यायालय द्वारा शुरू की गई स्वत : संज्ञान कार्यवाही का नाम बदलकर इन रे: ब्रूनो कर दिया गया था, जिसे तीन युवाओं ने बेरहमी से मार डाला था। तीनों युवक फिलहाल आपराधिक कृत्यों के लिए मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
केस टाइटिल: इन रे ब्रूनो बनाम केरल राज्य