डिंगरहेरी बलात्कार और हत्या मामला: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अभियुक्त की जमानत याचिका खारिज की, कहा- उसकी संलिप्तता की ओर इशारा करते हुए पर्याप्त सबूत

Update: 2023-06-14 05:24 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि "जघन्य और भयानक कृत्य" में उसकी संलिप्तता की ओर इशारा करने वाले "पर्याप्त सबूत" हैं, मेवात गैंगरेप और दोहरे हत्याकांड के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी।

जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा,

"जीवन और सम्मान की पूरी तरह से अवहेलना करते हुए अभियुक्तों ने परिवार के सदस्यों को मार डाला, घायल कर दिया और महिलाओं के साथ बलात्कार किया, जिनमें से एक 14 साल की बच्ची थी, जो खून से लथपथ अपने परिजनों के शवों के पास थी। अभियोजक ए (बलात्कार पीड़िता) और घायल सदस्य (xxx) की मौखिक गवाही स्पष्ट रूप से वर्तमान याचिकाकर्ता को घटना से जोड़ती है।"

अदालत ने कहा कि इस स्तर पर सीबीआई द्वारा जांच में जुटाए गए सबूत ऐसे नहीं हैं कि उसकी मिलीभगत को नकारा जा सके।

अदालत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302, 307, 376-डी, 376 (2) (i), 323, 325, 459, 460 सपठित धारा 120-बी और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत आरोपी अमित यादव उर्फ सोनू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी पर अन्य सह-आरोपियों के साथ साजिश रचने और बर्बर दोहरे हत्याकांड, बलात्कार और डकैती में सक्रिय रूप से भाग लेने का आरोप है।

अगस्त 2016 में मेवात के डिंगरहेरी गांव में एक जोड़े की हत्या कर दी गई थी और नाबालिग लड़की और उसकी चचेरी बहन के साथ बलात्कार किया गया था।

हरियाणा पुलिस द्वारा की गई जांच के अनुसार, चार आरोपी संदीप, अमरजीत, करमजीत और राहुल वर्मा को गिरफ्तार किया गया, जिनकी शिनाख्त परेड में पीड़ित लड़कियों द्वारा पहचान भी की गई। इसके बाद राज्य ने जांच सीबीआई को सौंप दी।

2018 में सीबीआई ने अपने चार्जशीट में अन्य 4 अभियुक्तों को बावरिया समूह के सदस्य बताए गए हैं। सीआरपीसी की धारा 173 (8) के तहत आगे की जांच के दौरान, सीबीआई ने अन्य अभियुक्तों अर्थात् अमित यादव उर्फ सोनू यादव-वर्तमान याचिकाकर्ता, तेज पाल और रविंदर उर्फ फौजी की संलिप्तता पाई।

अर्जी खारिज करते हुए अदालत ने कहा,

"हालांकि, मामले की गंभीरता को देखते हुए यह अदालत संबंधित ट्रायल कोर्ट से अनुरोध करती है कि वह 31 अक्टूबर, 2023 तक मुकदमे को समाप्त करने के लिए सभी प्रयास करे, जिसमें से अभियोजन पक्ष के साक्ष्य 31 अगस्त, 2023 तक पूरे हो जाएं। शेष समय यदि वांछित हो तो अभियुक्त को बचाव साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करें।

अदालत ने स्पष्ट किया कि सुनवाई में तेजी लाने का आदेश इस शर्त के अधीन है कि न तो याचिकाकर्ता किसी स्थगन की मांग करेगा और न ही मुकदमे में देरी के लिए कोई रणनीति अपनाने की कोशिश करेगा।

कोर्ट ने यह जोड़ा,

"यदि वे ऐसा करते हैं तो मुकदमे में तेजी लाने का यह आदेश सीआरपीसी की धारा 362 सपठित धारा 482 के तहत इस अदालत के आगे किसी भी संदर्भ के बिना स्वत: ही वापस ले लिया जाएगा। सभी लंबित आवेदन, यदि कोई हो, का निस्तारण किया जाता है।"

केस टाइटल: अमित यादव @ सोनू यादव बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो

अपीयरेंस: इवान सिंह खोसा, याचिकाकर्ता के वकील, राजीव आनंद, सीबीआई के सरकारी वकील और प्रतिवादी के लिए एडवोकेट सरफराज हुसैन।

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