मानहानि के लिए माफी मांगने और लक्ष्मी पुरी को मुआवजा देने का आदेश वापस लेने की मांग वाली साकेत गोखली की याचिका खारिज

Update: 2025-05-02 05:33 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद साकेत गोखले की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने उस आदेश को वापस लेने की मांग की थी, जिसमें उनसे सोशल मीडिया पर माफी मांगने और संयुक्त राष्ट्र में भारत की पूर्व सहायक महासचिव लक्ष्मी पुरी को 50 लाख रुपये का हर्जाना देने के लिए कहा गया था।

जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने राहत मांगने में देरी के लिए गोखले की याचिका भी खारिज कर दी।

गोखले ने पिछले साल 01 जुलाई को समन्वय पीठ द्वारा पारित एकपक्षीय आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए आदेश 9 नियम 13 के तहत आवेदन दायर किया था। पुरी ने 2021 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। पिछले साल दिसंबर में पुरी ने अवमानना ​​याचिका दायर कर आरोप लगाया कि गोखले पिछले साल के फैसले का पालन करने में विफल रहे। उन्होंने विचाराधीन फैसले के क्रियान्वयन की मांग की थी। इसके बाद गोखले को अपनी सभी संपत्तियों, संपदाओं और बैंक अकाउंट का खुलासा करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया।

मामला समन्वय पीठ के समक्ष विचाराधीन है।

हाल ही में न्यायालय ने उनके वेतन को कुर्क करने का भी आदेश दिया था। पुरी ने मानहानि का मुकदमा गोखले के ट्वीट से व्यथित होकर दायर किया था, जिसमें उन्होंने स्विट्जरलैंड में अपनी द्वारा खरीदी गई संपत्ति का जिक्र किया था। ट्वीट में गोखले ने अपनी और अपने पति केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की संपत्तियों को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने ट्वीट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी टैग किया था और ED जांच की मांग की थी।

फैसले में समन्वय पीठ ने पुरी के पक्ष में मुकदमा तय करते हुए गोखले को टाइम्स ऑफ इंडिया में माफीनामा डालने को कहा। उन्हें अपने ट्विटर हैंडल पर माफीनामा डालने का भी निर्देश दिया गया, जिसे 6 महीने तक रहना है। फैसले में विलियम शेक्सपियर के ओथेलो का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा था कि गोखले लक्ष्मी पुरी और उनके पति हरदीप पुरी के खिलाफ "भटकाव भरे आरोप" लगा रहे थे।

मुकदमे में कहा गया कि गोखले के ट्वीट झूठे और मानहानिकारक थे।

पुरी का कहना था कि ट्वीट “दुर्भावनापूर्ण तरीके से प्रेरित थे। उसी के अनुसार डिज़ाइन किए गए, झूठी बातों से भरे हुए थे और जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था”।

जुलाई, 2021 में समन्वय पीठ ने मुकदमे में अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन पर फैसला सुनाते हुए पुरी के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद अदालत ने गोखले को 24 घंटे के भीतर संबंधित ट्वीट हटाने का निर्देश दिया था। उन्हें पुरी के खिलाफ कोई और मानहानिकारक सामग्री पोस्ट करने से भी रोक दिया गया।

केस टाइटल: लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी बनाम साकेत गोखले

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