
दिल्ली हाईकोर्ट ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की पूर्व सहायक महासचिव लक्ष्मी पुरी द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले का वेतन कुर्क करने का आदेश दिया।
जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने आदेश दिया,
"प्रतिवादी के वेतन के संबंध में सीपीसी की धारा 60(i) के तहत कुर्की का वारंट जारी किया जाए।"
न्यायालय ने कहा कि वेतन तब तक कुर्क रहेगा जब तक समन्वय पीठ द्वारा पूर्व में निर्देशित 50 लाख रुपये न्यायालय में जमा नहीं करा दिए जाते।
पिछले वर्ष 01 जुलाई को गोखले को चार सप्ताह के भीतर सोशल मीडिया पर माफी मांगने तथा पुरी को 50 लाख रुपये का हर्जाना देने को कहा गया था।
न्यायालय ने पाया कि न तो गोखले ने जुर्माने की राशि जमा कराई और न ही कोई उचित स्पष्टीकरण दिया।
न्यायालय ने यह आदेश पुरी की उस याचिका पर विचार करते हुए पारित किया, जिसमें उनके पक्ष में आदेश के क्रियान्वयन की मांग की गई।
मानहानि का मुकदमा पुरी ने गोखले के ट्वीट से व्यथित होकर दायर किया, जिसमें उन्होंने स्विट्जरलैंड में अपनी खरीदी गई संपत्ति का जिक्र किया। ट्वीट में गोखले ने अपनी और अपने पति केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की संपत्ति के बारे में सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी टैग किया और ED जांच की मांग की थी।
निर्णय में एक समन्वय पीठ ने पुरी के पक्ष में मुकदमा करते हुए गोखले को टाइम्स ऑफ इंडिया में माफीनामा डालने को कहा। उन्हें अपने ट्विटर हैंडल पर माफीनामा डालने का भी निर्देश दिया गया, जिसे 6 महीने तक रहना है।
निर्णय में विलियम शेक्सपियर के ओथेलो का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि गोखले लक्ष्मी पुरी और उनके पति हरदीप पुरी के खिलाफ "घूमने वाले आरोप" लगा रहे थे।
मुकदमे में कहा गया कि गोखले के ट्वीट झूठे और मानहानिकारक थे। पुरी का कहना था कि ट्वीट "दुर्भावनापूर्ण तरीके से प्रेरित थे। तदनुसार डिजाइन किए गए, झूठी अफवाहों से भरे हुए थे और जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था"।
जुलाई, 2021 में समन्वय पीठ ने मुकदमे में अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन पर निर्णय लेते हुए पुरी के पक्ष में फैसला सुनाया।
अदालत ने तब गोखले को 24 घंटे के भीतर संबंधित ट्वीट हटाने का निर्देश दिया। उन्हें पुरी के खिलाफ कोई और अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने से भी रोक दिया गया।
केस टाइटल: लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी बनाम साकेत गोखले