मेट्रो स्टेशनों के शौचालयों में सैनिटरी वेंडिंग मशीनों की कमी का दावा करने वाली याचिका पर नोटिस जारी
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो में महिला यात्रियों के कुछ अधिकारों से संबंधित जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें मेट्रो स्टेशनों के शौचालयों में सैनिटरी वेंडिंग मशीनों तक पहुंच की कमी भी शामिल है।
चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए कहा:
"...जनहित याचिका में उठाई गई चिंता यह है कि दिल्ली मेट्रो स्टेशनों के शौचालयों में सैनिटरी वेंडिंग मशीनें नहीं हैं, जिसके परिणामस्वरूप यात्रियों को समस्या का सामना करना पड़ता है। 2 सप्ताह में जवाब दाखिल किया जाए। हम विशेष रूप से निर्देश देते हैं कि DMRC दिल्ली मेट्रो स्टेशनों पर स्थापित ऐसी वेंडिंग मशीनों और डिस्पोज़ल इकाइयों की संख्या और इनमें से कितनी मशीनें काम कर रही हैं, इसका विवरण दे।"
सुनवाई के दौरान DMRC की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि उनका संगठन केवल परिवहन प्रणाली, योजना, निर्माण और ट्रेन संचालन से संबंधित है और उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।
हालांकि, अदालत ने मौखिक रूप से पूछा,
"मेट्रो स्टेशनों पर शौचालयों का रखरखाव कौन करता है? शौचालय युक्त स्टेशन बनाने के बाद मेट्रो स्टेशन के भीतर शौचालयों का संचालन कौन करता है? उनका रखरखाव कौन करता है?"
वकील ने जवाब दिया कि यह DMRC का कर्तव्य है।
कहा गया,
"तो फिर आप यह क्यों कह रहे हैं कि आपका संबंध केवल ट्रेन चलाने से है? क्या शौचालयों का रखरखाव करना आपका दायित्व नहीं है?"
अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता के अनुसार, 286 मेट्रो स्टेशनों में से 40 स्टेशनों पर वेंडिंग मशीनें हैं, जिनमें से उनके अनुसार 6-7 काम कर रही हैं।
इस स्तर पर वकील ने उचित निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा।
यह मामला 24 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया।
Case title: NIKHIL GOYAL V/s DELHI METRO RAIL CORPORATION,THROUGH ITS MANAGING DIRECTOR & ORS.