दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 सप्ताह के भ्रूण की असामान्यता की जांच करने के लिए AIIMS को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया

Update: 2021-01-02 04:14 GMT

एक महत्वपूर्ण आदेश में, दिल्ली हाईकोर्ट की एक अवकाशकालीन पीठ के न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने बुधवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया है कि वह एक महिला की स्थिति की जांच के लिए एक बोर्ड का गठन करें। इस मामले में याचिकाकर्ता ने अपने 25 सप्ताह के भ्रूण के टर्मिनेशन की मांग की है क्योंकि भ्रूण बाइलैटरल अगेनेसिस और अनलारमनी से पीड़ित है, एक ऐसी स्थिति जहां भ्रूण में दोनों गुर्दे विकसित नहीं होते हैं।

पृष्ठभूमि

यह निर्देश एक महिला द्वारा दायर याचिका के मद्देनजर आया है जिसने अपने 25 सप्ताह के भ्रूण के टर्मिनेशन की अनुमति मांगने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता की वकील स्नेहा मुखर्जी के अनुसार, बच्चा जीवित नहीं रह पाएगा क्योंकि इस समय अजन्मे बच्चे के गुर्दे विकसित नहीं हुए हैं। इसलिए, याचिकाकर्ता ने अपनी गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति की अनुमति देने के लिए न्यायालय से निर्देश के रूप में राहत मांगी है।

याचिकाकर्ता के अनुसार, उसे अपनी गर्भावस्था के 25 सप्ताह की अवस्था में एक सोनोग्राफी से गुजरने के बाद बाइलैटरल अगेनेसिस और अनिलारमनी सिंड्रोम के बारे में पता चला था।

याचिकाकर्ता ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 की धारा 3 (2) (बी) की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी है,जिसमें यह प्रावधान है कि केवल 12 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था लेकिन 20 सप्ताह से अधिक नहीं,को ही टर्मिनेट किया जा सकता है,वो भी तब जब कम से कम दो चिकित्सकों की यह राय हो कि ऐसी गर्भावस्था से महिला या बच्चे के जीवन को खतरा होगा या किसी अन्य तरह का पर्याप्त जोखिम है।

यह आदेश महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिनियम में अधिकतम 20 सप्ताह तक की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति है, हालांकि कानून के तहत एक अपवाद भी है। हालांकि, पिछले दिनों ही इस मामले में लोकसभा ने 17 मार्च, 2020 को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) बिल 2020 पारित किया था, जो कि भ्रूण की असामान्यताओं के मामलों में 20 से 24 सप्ताह तक की गर्भावस्था की समाप्ति का प्रावधान करता है।

खंडपीठ के निर्देश

पीठ ने एम्स को सबसे पहले, महिला की स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया है और दूसरा, 4 जनवरी 2021 को होने वाली मामले की अगली सुनवाई से पहले अदालत में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

इसके लिए, पीठ ने आदेश दिया कि ''यह अदालत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के अधीक्षक को निर्देश जारी उचित मानती है ताकि वह याचिकाकर्ता की जांच करने और भ्रूण की चिकित्सा स्थिति की जांच करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन कर सकें। यह बोर्ड गर्भावस्था की अवधि तक भ्रूण के जीवित न रहने की संभावना के संबंध में भी एक रिपोर्ट कोर्ट को प्रस्तुत करें। मेडिकल बोर्ड अपनी रिपोर्ट 04.01.2021 को या उससे पहले कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें।''

केस का नामःज्योति बनाम एनसीटी आॅफ दिल्ली व अन्य,W.P. (C) No. 11248 of 2020

आदेश की दिनांकः 30.12.2020

सुनवाई की अगली तारीखः 04.01.2021

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