अशोक अरोड़ा के SCBA से निलंबन पर रोक लगाने की मांग वाली अर्ज़ी को खारिज करने के आदेश के खिलाफ दायर अपील दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की
अशोक अरोड़ा के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) से उनके निलंबन पर रोक लगाकर उन्हें राहत देने की मांग करने वाली याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अपील खारिज हो गई।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन की खंडपीठ ने मूल याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ की टिप्पणियों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
इससे पहले राहत देने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ ने उल्लेख किया था कि अशोक अरोड़ा अपने पक्ष में एक प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करने में विफल रहे।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने कार्यकारी समिति (ईसी) द्वारा 8 मई को बुलाई गई बैठक में निर्णय लेने के बाद एससीबीए ने अपने सचिव अशोक अरोड़ा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। यह भी तय किया गया था कि सहायक सचिव रोहित पांडे, सचिव की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को संभालेंगे। अशोक अरोड़ा ने सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे को SCBA अध्यक्ष से हटाने और उनकी एसोसिएशन की प्राथमिक सदस्यता समाप्त करने के लिए एक एक 'असाधारण बैठक' बुलाई थी।
अरोड़ा ने आरोप लगाया था कि दवे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एससीबीए के कार्यालय का उपयोग कर रहे हैं और बार एसोसिएशन की प्राथमिक सदस्यता से भी उन्हें हटाने का आह्वान कर रहे हैं। हालांकि यह ईजीएम भी रद्द हो गया। कार्यकारी समिति ने बहुमत से निर्णय पारित किया था, जहां प्रेसिडेंट को मतदान करने से रोक दिया था। इसके अतिरिक्त, अरोड़ा के खिलाफ आरोपों को देखने के लिए SCBA द्वारा 3 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। निलंबित किए जाने के तुरंत बाद, अरोड़ा ने बार के सदस्यों को एक संदेश भेजा, जिसमें कार्यकारी समिति पर विभिन्न अवसरों पर उन्हें डराने-धमकाने का आरोप लगाया गया और कहा कि दवे के आचरण से बार को दरार हुई।
एससीबीए ने 7 जून को अशोक अरोड़ा को नोटिस जारी कर पूछा कि कथित रूप से आरोप लगाने के लिए उनके ख़िलाफ़ तीन सदस्यीय समिति की एकतरफ़ा जाँच क्यों न शुरू की जाए। इन कथित आरोपों में कार्यकारी समिति में शत्रुता का वातावरण उत्पन्न करना, समिति के सामंजस्यपूर्ण कामकाज में बाधा पहुँचाना, एससीबीए के अधिकारियों के ख़िलाफ़ अपशब्द का प्रयोग, एससीबीए के कोषाध्यक्ष मीनेश दुबे को धमकाना, ग़ैरक़ानूनी कार्यकारी समिति की बैठक बुलाना, एससीबीए के कार्यक्रम में शर्मनाक स्थिति पैदा करना और बैठकों का मिनट तैयार नहीं करना शामिल है।
आरोप लगाया गया कि अरोड़ा ने कार्यकारी समिति (ईसी) की 18 दिसंबर 2019 को हुई पहली बैठक से ही विरोधी और बाधा खड़ी करने का रुख अपना रहे हैं। एक बैठक में उन्होंने एससीबीए के अध्यक्ष पर चिल्लाया था। उन्होंने एससीबीए के अध्यक्ष दुष्यंत दवे को "निर्लज्ज प्राणी" कहा था और उनके ख़िलाफ़ अन्य अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था।