COVID19- गुवाहाटी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जेल से रिहा किए जाने वाले कैदियों का विवरण मांगा

Update: 2021-05-18 08:43 GMT

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने सोमवार को असम की सरकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, जेलों में भीड़भाड़ कम करने के लिए रिहा होने वाले राज्य की जेलों में बंद कैदियों की संख्या के बारे में विवरण मांगा।

मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ की खंडपीठ ने आदेश दिया:

"आर धर ने मामले का अध्ययन करने के लिए और राज्य की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों के बारे में और जानकारी इक्ट्ठा करने के लिए दो दिन का समय मांगा है। इन कैदियों को सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 07.05.2021 के निर्देशों के अनुसार रिहा किया जाना है।"

कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पेश वकील द्वारा मांगे गए समय को स्वीकार करते हुए मामले को 19 मई को आगे की सुनवाई के लिए रख लिया।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस सूर्यकांत की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने COVID-19 महामारी की दूसरी लहर को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर 7 मई को जेलों में भीड़भाड़ कम करने के निर्देश दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अधिकारियों को अर्नेश कुमार मामले में निर्धारित दिशानिर्देशों के उल्लंघन में गिरफ्तारी नहीं करनी चाहिए, जिसमें कहा गया था कि गिरफ्तारी उन मामलों में अपवाद होनी चाहिए, जहां अपराध 7 साल से कम कारावास के साथ दंडनीय हैं। इसके अलावा इसने राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा गठित हाई पावर्ड कमेटी को भी दिशा-निर्देशों (जैसे कि अन्य बातों के साथ, नालसा द्वारा निर्धारित एसओपी) को पिछले साल की तरह अपनाकर कैदियों की रिहाई पर विचार करने का निर्देश दिया।

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह विदेशी घोषित माताओं का विवरण दें, जो वर्तमान में 6 साल से कम उम्र के अपने बच्चों के साथ जेलों में बंद हैं और उन्हें 48 घंटे के भीतर जेल में रखा गया है।

पिछली सुनवाई के दौरान पिछले साल स्थापित स्वत: रिट याचिका को पुनर्जीवित करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य में बढ़ते COVID-19 मामलों को देखते हुए असम में जेलों में बंद बच्चों के संबंध में जेल अधिकारियों से विवरण मांगा था।

हाईकोर्ट ने 23 जुलाई, 2020 के आदेश में असम की जेलों के अंदर पाए गए COVID-19 पॉजीटिव मामलों की बार-बार रिपोर्ट की गई संख्या को देखते हुए स्वत: संज्ञान याचिका दर्ज की थी।

हाईकोर्ट ने तब जेल महानिरीक्षक, असम को प्रत्येक जेल में COVID-19 पॉजीटिव पाए गए कैदियों की संख्या के बारे में विवरण देने का निर्देश दिया था। साथ ही COVID-19 पॉजीटिव होने से कैदियों को बचाने के लिए बरती गई सावधानियां और कीटाणुरहित करने के लिए उठाए जा रहे कदम के बारे में जवाब मांगा था।

29 अप्रैल को उक्त स्वत: संज्ञान याचिका को पुनर्जीवित करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह जेलों के अंदर दूसरी COVID-19 लहर और COVID-19 पॉजीटिव मामलों को देखते हुए रिकॉर्ड पर नया डेटा दर्ज करे। 

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