"छूट के लिए उनके मामले पर विचार करें": इलाहाबाद हाईकौर्ट ने 42 साल पुराने हत्या मामले में उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार से कहा

Update: 2022-05-27 15:11 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को 1980 के एक हत्या के मामले में दो आरोपियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। हालांकि, अदालत ने राज्य सरकार को उनके मामले में छूट के लिए विचार करने का निर्देश दिया।

जस्टिस दिनेश कुमार सिंह और जस्टिस अताउ रहमान मसूदी की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वे छूट के लिए उनके मामले पर विचार करते समय उनकी अधिक उम्र और जेल में उनके आचरण को ध्यान में रखें।

आरोपी के खिलाफ केस

अभियोजन पक्ष के अनुसार रामदीन (मृत) उसका भाई केतर (घायल), आरोपी, शिकायतकर्ता और गवाह 'मंगता समुदाय' से हैं। घटना की तिथि को मृतक व घायल सरजू की छोटी बहन की शादी खरिका के एक व्यक्ति से होनी थी।

आरोपी/बुधु (मृतक और घायल व्यक्ति की बड़ी बहन का पति), उसके बाद राम खेलावन (अपीलकर्ता संख्या 1), और राम दत्त (अपीलकर्ता संख्या 2) हाथ में खुला चाकू लेकर वहां आए। बुद्धू ने चुनौती दी कि वे खरिका गांव में लड़की की शादी नहीं होने देंगे, जहां से बारात आ रही थी।

इसके अलावा, जब मृतक (रामदीन) और उसके भाई केतर (घायल) ने शादी में कोई गड़बड़ी/अशांति न करने के लिए उसे सावधान करने और समझाने की कोशिश की, राम खेलावन (अपीलकर्ता संख्या 1) ने बुद्धू से चाकू छीन लिया और केतर के बायें हाथ पर चाकू से वार कर दिया।

रामदीन (मृतक) ने अपने भाई को बचाने के लिए हस्तक्षेप किया और आरोपी को पकड़ लिया, और तभी राम खेलावन, बुद्धू और राम दत्त ने उसके हाथ पकड़ लिए और राम खेलावन ने रामदीन की गर्दन पर चाकू से वार किया, जो तुरंत नीचे गिर गया। इसके बाद सभी आरोपी घटना स्थल से फरार हो गए।

रामदीन की मौत हो गई और मामले की जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की गई। सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश, लखनऊ ने आरोपी राम खेलावन (अपीलकर्ता संख्या 1) को आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया और बुद्धू और राम दत्त (अपीलकर्ता संख्या 2) को आईपीसी की धारा 302/34 के तहत दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

न्यायालय की टिप्पणियां

मामले के सबूतों, परिस्थितियों और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि तीनों आरोपियों ने अपराध में भाग लिया था, क्योंकि उनमें से दो ने मृतक को पकड़ लिया और एक ने गर्दन पर घातक वार किया। इसके परिणामस्वरूप मृतक, रामदीन की मृत्यु हो गई।

कोर्ट ने कहा कि मृतक के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के अनुसार रामदीन की गर्दन पर लगी चोट सामान्य तौर पर मौत का कारण बनने के लिए पर्याप्त थी।

कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश और फैसले को बरकरार रखा। हालांकि इस तथ्य पर विचार करते हुए कि घटना वर्ष 1980 की है, और अपीलकर्ता ज्यादा उम्र के हैं, इसलिए, न्यायालय ने राज्य सरकार को उनके मामले पर शीघ्रता से विचार करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल - राम खेलावन और अन्य बनाम यूपी राज्य[ [CRIMINAL APPEAL No. - 674 of 1982]

केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 262

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