सक्षम प्राधिकारी कारण बताओ नोटिस से परे कार्रवाई नहीं कर सकता: गुजरात हाईकोर्ट ने खेल के मैदान बनाने के लिए ट्रस्ट को आवंटित भूमि की जब्ती रद्द की
गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में बनासकांठा के कलेक्टर के एक आदेश को रद्द कर दिया।
कलेक्टर में अपने आदेश में स्कूली बच्चों के लिए खेल का मैदान बनाने के लिए एक पब्लिक ट्रस्ट को दिए गए भूमि आवंटन को जब्त कर लिया था। हाईकोर्ट ने प्रतिवादी प्राधिकारी को याचिकाकर्ता-ट्रस्ट की ओर से पेश पट्ट के नवीनीकरण के आवेदन पर 8 सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का भी निर्देश दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में नोट किया कि सक्षम सरकारी प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस से परे, जब्ती का आदेश पारित किया था, जिसके बाद उक्त आदेश दिया गया।
मौजूदा मामले में कारण बताओ नोटिस में शर्त संख्या 10 और 12 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जो कि विचाराधीन भूमि की माप से संबंधित है। पुनरीक्षण प्राधिकारी ने शर्त संख्या 2 और 6, जो भूमि उपयोग और निर्दिष्ट समय के भीतर स्कूल भवन के निर्माण से संबंधित है, का पालन न करने का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को खारिज कर दिया था।
पीठ ने कहा,
"पुनरीक्षण प्राधिकारी ने यह विशेष रूप से देखा है कि याचिकाकर्ता ने प्रश्नगत भूमि पर भवन का निर्माण नहीं किया है और याचिकाकर्ता ने उस भूमि का उपयोग उस उद्देश्य के लिए नहीं किया है, जिसके लिए इसे आवंटित किया गया था। एक बार फिर, यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि कलेक्टर द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करते समय या आदेश पारित करते समय याचिकाकर्ता के खिलाफ इस तरह के आरोप नहीं लगाए गए हैं। इस प्रकार, ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी - सरकार - पुनरीक्षण प्राधिकरण ने कारण बताओ नोटिस से परे आदेश पारित किया है।"
पीठ ने इस प्रकार जब्ती के आक्षेपित आदेश को रद्द कर दिया और संबंधित अधिकारियों को याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए पट्टे के नवीनीकरण के आवेदन पर 8 सप्ताह की अवधि के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
मामला
मामले के संक्षिप्त तथ्य यह थे कि याचिकाकर्ता-न्यास ने एक निश्चित भूमि पर एक स्कूल स्थापित किया था और अब स्कूली बच्चों के लिए खेल के मैदान के विकास के लिए भूमि के विस्तार की मांग कर रहा था। उक्त भूमि याचिकाकर्ता को एक रुपये की मामूली दर पर 1991 में 15 साल की अवधि के लिए आवंटित की गई थी।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इसने निर्माण उपयुक्त बनाने के लिए उक्त भूमि को समतल करने के लिए 2 लाख रुपये खर्च किए। याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि कलेक्टर ने 1999 में याचिकाकर्ता को कुछ शर्तों के उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ता के उत्तर के बाद, आक्षेपित आदेश पारित किया गया जिससे याचिकाकर्ता को भूमि का आवंटन जब्त कर लिया गया। याचिकाकर्ता ने इसे पुनरीक्षण प्राधिकारी के समक्ष चुनौती दी लेकिन आदेश को बरकरार रखा गया।
मौजूदा याचिका में आवेदक ने आक्षेपित आदेशों पर रोक लगाने के लिए अंतरिम राहत की मांग की। याचिकाकर्ता ने कहा कि सूखे की स्थिति और वित्तीय अक्षमता के कारण स्कूल का निर्माण नहीं किया जा सका। हालांकि, अब जबकि ट्रस्ट की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, स्कूल का काम पूरा हो रहा है। यह भी संकेत दिया गया कि याचिकाकर्ता ट्रस्ट द्वारा संचालित स्कूल में 1600 छात्र पढ़ रहे थे और 500 छात्र खेल के मैदान के रूप में जमीन का उपयोग कर रहे थे। याचिकाकर्ताओं ने इस तर्क से भी इनकार किया कि उन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया था क्योंकि उन्होंने पट्टे के नवीनीकरण की भी मांग की थी।
इन तर्कों को ध्यान में रखते हुए, बेंच ने निष्कर्ष निकाला कि ट्रस्ट ने खेल के मैदान के निर्माण के लिए खर्च किया था। ट्रस्ट ने कारण बताओ नोटिस में कथित रूप से किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया था। फिर भी पुनरीक्षण प्राधिकरण ने इन शर्तों के उल्लंघन के आधार पर आदेश को बरकरार रखा था। पुनरीक्षण प्राधिकारी ने भी गलत तरीके से यह माना था कि आदेश में भूमि का उपयोग अपेक्षित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया था। हालांकि, कारण बताओ नोटिस में ऐसा आरोप नहीं लगाया गया था। इसलिए, प्राधिकरण ने कारण बताओ नोटिस से परे कार्रवाई की।
तदनुसार, याचिका को स्वीकार कर लिया गया और अधिकारियों को 8 सप्ताह के भीतर पट्टे के नवीनीकरण के आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया गया।
केस नंबर: श्री हिंदवाणी आंजना पटेल केलावनी मंडल बनाम गुजरात राज्य और 3 अन्य
केस टाइटल: C/SCA/19861/2007