'केंद्र सरकार' ब्रिटिश राज फ्रेजोलॉजी है, 'संघीय सरकार' अधिक एकीकृत भाव देती है: दिल्ली हाईकोर्ट में शब्दावली बदलने की मांग को लेकर याचिका दायर

Update: 2022-08-26 09:07 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सभी कानूनों, आदेशों, अधिसूचनाओं, नियमों, कार्यकारी कार्यों और परिपत्रों में "केंद्र सरकार" (Central Govt) के बजाय "संघीय सरकार" (Union Govt) अभिव्यक्ति का उपयोग करने के लिए दायर जनहित याचिका पर केंद्र का जवाब मांगा।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने केंद्र (कानून और न्याय मंत्रालय) की ओर से पेश वकील को मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा। इसके साथ ही खंडपीठ ने मामले को चार सप्ताह के बाद अगली सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

अदालत 84 वर्षीय आत्माराम सरावगी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सामान्य खंड अधिनियम, 1897 की धारा 3 (8) (बी) के दायरे को भी चुनौती दी गई है।

याचिका में कहा गया,

"हमारे संविधान के तहत भारत "राज्यों का संघ" है और ब्रिटिश राज के तहत मौजूद "केंद्र सरकार" की कोई अवधारणा नहीं हो सकती। हालांकि, यह पुरातन वाक्यांशविज्ञान हमारी शासन प्रणाली के पूरी तरह से विपरीत है।"

जनहित याचिका को एडवोकेट हेमंत राज फाल्फर के माध्यम से दायर किया गया और सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन द्वारा तर्क दिया गया।

याचिका में कहा गया कि भारत के संविधान में "केंद्र सरकार" या "केंद्र" शब्द का एक भी संदर्भ नहीं है। इस तरह का पहला संदर्भ 2012 से किए गए संशोधनों में आया।

याचिका में कहा गया,

"भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 में 'संघ और उसके क्षेत्र' शब्दों का प्रयोग किया गया। कहा गया कि "भारत राज्यों का संघ होगा। दिलचस्प बात यह है कि 'केंद्र' या 'केंद्र सरकार' शब्द जानबूझकर भारत के संविधान के 22 भागों और/या आठ अनुसूचियों में विभाजित 395 अनुच्छेदों में से किसी में भी इसका इस्तेमाल नहीं किया गया।"

याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि 'संघ सरकार' शब्द का "संघ और सभी राज्यों के संबंधों पर एकीकृत प्रभाव" है। यह "गलत धारणा को धता बताते हुए" लंबा रास्ता तय करेगा कि केंद्र सरकार में सत्ता का केंद्रीकरण है।

याचिका में कहा गया,

"दूसरे शब्दों में 'केंद्र' शब्द संघीय सरकार की भावना देने वाले सर्कल के बीच में बिंदु को इंगित करता है, जबकि 'संघ' पूरे सर्कल को संदर्भित करता है और एकात्मक सरकार की भावना को दर्शाता है।"

केस टाइटल: आत्माराम सरोगी बनाम भारत संघ

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