प्रेम संबंध और सहमति से शारीरिक संबंध का मामला, अगर विवाह का झूठा वादा न हो तो बलात्कार नहींः जम्मू, कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट

Update: 2022-02-25 10:26 GMT

जम्मू, कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि विवाह का वादा, जिसमें दो वयस्कों के बीच शारीरिक संबंध में शामिल हैं, प्रेम संबंध का मामला है और यह किसी भी रूप में आईपीसी की धारा 375 [बलात्कार] की परिभाषा के दायरे में नहीं आएगा।

जस्टिस मोहन लाल की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा जब झूठे वादे के मामला होता है, जिसे यौन संबंध के लिए एक महिला की सहमति पाने के लिए किया जाता है, तो गलत बयानी के बराबर होता है, और इस प्रकार से पाई गई सहमति किसी व्यक्ति को बलात्कार के अपराध से मुक्त नहीं कर सकती है।

मामला

अशोक कुमार ने पिछले साल बलात्कार के मामले में अग्रिम जमानत की मांग की थी। उस पर आरोप था कि उसने पीड़िता से इस गलत धारणा ‌कि वह उससे शादी करेगा, के जर‌िए सहमति प्राप्त करने के बाद कई बार यौन संबंध बनाए। इसके बाद, उसने उसे अनदेखा करना शुरू कर दिया और उसे धमकी भी दी कि अगर उसने कभी उसे फोन करने की कोशिश की तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

इससे पहले, जुलाई 2021 में उसे हाईकोर्ट ने इस निर्देश के साथ अंतरिम जमानत दी थी कि वह जांच अधिकारी के सामने पेश होगा और अभियोजन पक्ष के किसी गवाह से संपर्क नहीं करेगा।

हालांकि, सितंबर 2021 में, शिकायतकर्ता/अभियोजन पक्ष के वकील ने इस आधार पर उसे दी गई अंतरिम जमानत को रद्द करने/निरस्त करने के लिए एक आवेदन दायर किया कि जमानत मिलने के बाद वह पीड़िता को लगातार परेशान कर रहा है और धमकी दे रहा है।

यह भी आरोप लगाया गया कि आवेदक/अभियुक्त अभियोक्ता के आवास पर गया और उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। एफआईआर वापस लेने के लिए उस पर और परिवार के अन्य सदस्यों पर दबाव डाला।

अवलोकन

अदालत ने जमानत आवेदक के खिलाफ दर्ज एफआईआर की सामग्री पर विचार किया और कहा कि इस बात का रत्ती भर भी जिक्र नहीं था कि आवेदक/अभियुक्त ने झूठा वादा किया था या आवेदक/अभियुक्त ने झूठे वादे के आधार पर पीड़िता के साथ यौन संबंध बनाए थे।

कोर्ट ने कहा, "एफआईआर में यह भी आरोप नहीं है कि जब आवेदक/अभियुक्त ने शिकायतकर्ता/पीड़ित से शादी करने का वादा किया तो यह बुरे विश्वास में या उसे धोखा देने के इरादे से किया गया। एफआईआर की सामग्री से ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदक/अभियुक्त की ओर से वादा पूरा करने में विफलता हुई है। वर्ष 2017 में किए गए शादी के वादे को वह 2021 में पूरा नहीं कर सका।"

अदालत ने कहा कि जब एफआईआर में कोई आरोप नहीं था कि आरोपी द्वारा किया गया वादा झूठा था तो पीड़िता के साथ आरोपी का शारीरिक संबंध आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार का अपराध नहीं है। कोर्ट ने तनवीर इकबाल बनाम राज्य और अन्य 2018 (2) अपराध (एचसी) 264 के मामले में अपने ही फैसले सहित सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसलों को भी ध्यान में रखा।

इस पृष्ठभूमि में मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने माना कि आवेदक-आरोपी द्वारा शिकायतकर्ता/अभियोजन पक्ष से मौजूदा मामले में शादी का कोई झूठा वादा नहीं किया गया था।

नतीजतन, जुलाई 2021 में आवेदक/आरोपी को दी गई अग्रिम जमानत को उन शर्तों के अधीन पूर्ण कर दिया गया कि आवेदक/अभियुक्त, यदि जांच एजेंसी द्वारा आवश्यक हो, तो जांच के दरमियान जांच अधिकारी के समक्ष पेश होगा और अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह को धमकाए या डराएगा नहीं।

केस शीर्षक - अशोक कुमार बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर

केस उद्धरण: 2022 लाइव लॉ (जेकेएल) 6


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