गैर-शैक्षणिक गतिविधियों के लिए बच्चों का इस्तेमाल नहीं कर सकते: केरल हाईकोर्ट

Update: 2023-11-25 12:53 GMT

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में स्पष्ट किया स्कूल और शैक्षणिक प्रा‌धिकरण बच्चों को राज्य सरकार की 'नव केरल सदास' जैसी गैर-शैक्षिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं।

'नव केरल सदास' जैसे कार्यक्रम में शीर्ष अधिकारी लोगों के साथ बातचीत करते हैं और उनकी शिकायतों को हल करने का प्रयास करते हैं। कार्यक्रम के लिए सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों को अपने-अपने जिलों में कार्यक्र में शामिल होने और जनता की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है, जिससे सरकारी दफ्तरों और शैक्षणिक संस्थानों का कामकाज बाधित होता है।

जस्टिस देवन रामचन्द्रन ने कहा, ...शिक्षा का अधिकार संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार है...और शैक्षणिक प्राधिकरणों का यह कर्तव्य है कि वे इसकी रक्षा करें, न कि उन्हें गैर-शैक्षणिक ग्रतिविध‌ियों के लिए प्रोत्साहित करें।

मामले में पीठ मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन अध्यक्ष पीके नवास की याचिका पर विचार कर रही थी, जिन्होंने आरोप लगाया है कि राज्य शैक्ष‌िक विभाग ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें उच्च प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक कक्षाओं के छात्रों को 'नवा केरल सदास' कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री ने की थी।

कोर्ट ने हेड मास्टर्स और स्कूल प्रिंसिपलों को छात्रों को ऐसी गतिविधियों, जो शैक्षिक पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है, में शामिल करने के खिलाफ चेतावनी दी।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जिला शिक्षा अधिकारियों की ओर से आयोजित एक बैठक में मुख्य शिक्षकों को छात्रों के परिवहन के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया था और कहा गया ‌था कि यदि जरूरत पड़ी तो प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में स्कूलों में छुट्टी भी घोषित की जा सकती है।

याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि शिक्षा उप निदेशक, मलप्पुरम (डीडीई, मलप्पुरम) ने इसके बाद अधिसूचना में मामले को लागू करने के लिए जिला/उप शिक्षा अधिकारियों को एक आदेश जारी किया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि स्कूली छात्रों को सड़क किनारे धूप में खड़ा किया गया था। उनसे कहा गया था कि जब मुख्यमंत्री की बस गुजरें तो वे मुख्यमंत्री के समर्थन में नारे लगाएं।

ऐसी परिस्थितियों में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और डीडीई, मलप्पुरम की ओर से जारी आदेश को रद्द करने की मांग की। साथ ही एक घोषणा जारी करने की मांग की कि छात्रों को ऐसे कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मजबूर ना किया जाए। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने डीडीई, मलप्पुरम के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की मांग की।

अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि विवाद‌ित आदेश 20 नवंबर को वापस ले लिया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य के किसी भी जिले में किसी भी बच्चे को किसी भी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मजबूर या प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा। न्यायालय का यह भी विचार था कि डीडीई, मलप्पुरम के पास उपरोक्त आदेश जारी करने के लिए किसी भी लागू क़ानून, नियम या विनियम के तहत अधिकार क्षेत्र या क्षमता नहीं थी।

कोर्ट ने कहा सामान्य प्रक्रिया के अनुसार याचिका बंद हो जाएगी, हालांकि वर्तमान मामले में यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि अधिकारी भविष्य में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग ना करें। मामले को आगे के विचार के लिए 27 नवंबर को पोस्ट किया गया है।

केस टाइटलः पीके नवास बनाम केरल राज्य और अन्य

केस नंबर: डब्ल्यूपी (सी) नंबर 39398 ऑफ 2023

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