अदालत के अधिकारक्षेत्र के बाहर दर्ज मामले में अग्रिम जमानत नहीं दे सकते: जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि किसी ऐसे व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है जिसके खिलाफ उस पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया हो, जो अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो।
जस्टिस संजय धर की एकल पीठ ने मोहन सिंह परिहार बनाम पुलिस आयोग और अन्य मामले में अदालत के फैसले के अनुरूप कहा:
"हाईकोर्ट जम्मू-कश्मीर राज्य के पूरे क्षेत्र में संहिता के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगा, सत्र न्यायाधीश और अन्य मजिस्ट्रेट राज्य के क्षेत्र में अपने परिभाषित क्षेत्रों के भीतर अपनी शक्तियों का प्रयोग करेंगे। इनमें से कोई भी न्यायालय राज्य की क्षेत्रीय सीमा के बाहर किसी भी स्थान पर सीआरपीसी की धारा 497-ए (जो केंद्रीय सीआरपीसी की धारा 438 के समान है) के तहत दर्ज मामले में अग्रिम जमानत देने की शक्ति सहित का प्रयोग नहीं करेगा, उस पर प्रदत्त जम्मू-कश्मीर राज्य की किसी भी शक्ति का प्रयोग करेगा।"
वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता एफआईआर में अग्रिम जमानत की मांग कर रहे है, जो हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर मध्य प्रदेश में दर्ज है। शिकायतकर्ता महिला द्वारा याचिकाकर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए के तहत अपराध करने का आरोप लगाने पर एफआईआर दर्ज की गई थी। उक्त याचिकाकर्ता महिला के पति और ससुराल वाले हैं।
अदालत के समक्ष विवादास्पद सवाल यह है कि क्या हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है और किसी व्यक्ति को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर आने वाले मामलों में अग्रिम जमानत दे सकता है।
इस सवाल का जवाब देते हुए बेंच ने कहा कि अदालत के पास जमानत आवेदन पर विचार करने और उस पर फैसला करने का अधिकार नहीं है, जो एफआईआर से संबंधित है और जो स्थानीय सीमा से परे दर्ज की गई है, भले ही आरोपी / याचिकाकर्ता अपने अधिकार क्षेत्र में रह रहे हों।
याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता वर्तमान मामले में ट्रांजिट जमानत की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन स्थायी आधार पर उनकी गिरफ्तारी की प्रत्याशा में जमानत की मांग कर रहे हैं, जिसके संबंध में इस न्यायालय में पूर्वोक्त में निर्धारित अनुपात को देखते हुए अधिकार क्षेत्र का अभाव है।
केस टाइटल: नासिर अहमद वानी और अन्य बनाम पुलिस स्टेशन नीमच और अन्य।
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