ट्रेडमार्क मामले में 'JIO' को अंतरिम राहत, टैक्सी ऑपरेटर को 'JIO TAXI' मार्क इस्तेमाल करने पर रोक
बॉम्बे हाईकोर्ट ने झारखंड के एक टैक्सी ऑपरेटर को “JIO TAXI” नाम इस्तेमाल करने से रोक दिया, क्योंकि कोर्ट ने पाया कि यह पहली नज़र में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के जाने-माने “JIO” ट्रेडमार्क का उल्लंघन करता है।
जस्टिस शर्मिला यू देशमुख की सिंगल बेंच ने 24 नवंबर, 2025 को रिलायंस के पक्ष में अंतरिम रोक लगाते हुए यह आदेश दिया। यह रोक 16 दिसंबर, 2025 तक लागू रहेगी।
रिलायंस ने कोर्ट को बताया,
“JIO” ट्रेडमार्क और इसके वेरिएंट उसके हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन 2011 से है। उसने कहा कि उसका 2012 का क्लास 39 रजिस्ट्रेशन भी है, जो ट्रांसपोर्ट से जुड़ी सर्विसेज़ को कवर करता है। कंपनी ने बताया कि “JIO” ब्रांड उसके कई बिज़नेस के लिए सेंट्रल है, जिसमें टेलीकॉम, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Ajio.com, ग्रॉसरी प्लेटफॉर्म JioMart और कई ग्रुप कंपनियां शामिल हैं जो अपने कॉर्पोरेट और डोमेन नेम में “JIO” का इस्तेमाल करती हैं।
रिलायंस ने कहा कि उसे अप्रैल 2025 में पता चला कि ऑपरेटर jiotaxicab.com वेबसाइट के ज़रिए “JIO TAXI” नाम से टैक्सी और कार-रेंटल सर्विस चला रहा था। उसने यह भी कहा कि ऑपरेटर ने 2020 में “JIO TAXI” मार्क को रजिस्टर करने की कोशिश की थी, लेकिन रिलायंस के पहले के अधिकारों के कारण ट्रेड मार्क्स रजिस्ट्री ने एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि रिलायंस ने “JIO” मार्क पर अपने अधिकार दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर काफी मटीरियल पेश किया। उसने देखा कि “JIO TAXI” नाम में रजिस्टर्ड मार्क पूरी तरह से शामिल है और ऑपरेटर के पास कोई असली बचाव नहीं था, खासकर तब जब उसकी अपनी एप्लीकेशन को पहले ही इसी कारण से रिजेक्ट कर दिया गया।
इसलिए कोर्ट ने फैसला सुनाया कि रिलायंस ने अंतरिम राहत देने के लिए एक मज़बूत प्राइमा फेसी केस बनाया और टैक्सी ऑपरेटर को अगली सुनवाई की तारीख तक, टैक्सी या कार-रेंटल सर्विस के लिए “JIO TAXI,” डोमेन नेम 'jiotaxicab.com' या किसी भी मिलते-जुलते या धोखे से मिलते-जुलते मार्क का इस्तेमाल करने से रोक दिया है, जो उल्लंघन या पासिंग ऑफ़ हो सकता है। कोर्ट ने डोमेन रजिस्ट्रार को रजिस्ट्रेंट की डिटेल्स बताने और विवादित डोमेन नेम से जुड़े अकाउंट को सस्पेंड करने का भी निर्देश दिया।
मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर, 2025 को होगी।
Case Title: Reliance Industries Limited v. Abhay Kumar and Another