बेंगलुरू एडवोकेट एसोसिएशन ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ मोमबत्ती मार्च निकालने का प्रस्ताव पारित किया

24 मार्च को आयोजित अपनी विशेष आम सभा में एडवोकेट एसोसिएशन, बेंगलुरू ने प्रस्ताव पारित कि अंधेरे में मोमबत्ती जलाकर वकीलों का विरोध प्रदर्शन पूरे कर्नाटक में और हाईकोर्ट के गेट पर किया जाएगा, जिससे न्यायपालिका को यह समझाया जा सके कि "अंधकार को दूर करने और हमारी न्यायपालिका में प्रकाश लाने की आवश्यकता है।"
न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के मामलों के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में भ्रष्टाचार के खिलाफ और निचली अदालत में भ्रष्टाचार को रोकने में हाईकोर्ट के सतर्कता विभाग की विफलता और दोषी निचली अदालत के जज को सेवा से बर्खास्त करने में हाईकोर्ट की निष्क्रियता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
यह बैठक जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर कथित रूप से नकदी बरामदगी के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी। बैठक में न्यायपालिका में जवाबदेही और उच्च एवं निचली अदालतों में भ्रष्टाचार की बढ़ती चिंताओं के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई। एसोसिएशन ने कहा कि दिल्ली की घटना ने न्यायपालिका में जनता के विश्वास और आस्था को हिला दिया और न्यायपालिका की विश्वसनीयता को खत्म कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप देश में कानून के शासन की नींव हिल गई है।
इसके अलावा, भ्रष्टाचार गहराई से अपनी जड़ें जमा रहा है। कर्नाटक हाईकोर्ट और राज्य भर की निचली अदालतों सहित सभी स्तरों पर सभी अदालतों में इसके व्यापक होने की चिंताएं बढ़ रही हैं। एसोसिएशन ने कहा कि इस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम अब असहाय गवाह बनकर नहीं रह सकता। उसे इस अवसर पर आगे आकर न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को पूरी तरह से खत्म करने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाने होंगे। तदनुसार यह संकल्प लिया गया कि उच्च न्यायपालिका और सभी हाईकोर्ट जज जिनके विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उन्हें उनके मूल हाईकोर्ट से अन्य हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट सहित सभी स्तरों के जजों और उनके परिवार के सदस्यों को लोक सेवक के रूप में हर साल अपनी संपत्ति और देनदारियों की सार्वजनिक रूप से घोषणा करनी चाहिए। इसे सुप्रीम कोर्ट और संबंधित हाईकोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना चाहिए।
संगठन ने यह भी उल्लेख किया कि कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस के. नटराजन द्वारा अत्यधिक संख्या में मामलों की आंशिक सुनवाई की जाती है। इसलिए इसने मांग करने का प्रस्ताव पारित किया कि जस्टिस के. नटराजन तुरंत अपने समक्ष सभी आंशिक सुनवाई वाले मामलों या आगे की सुनवाई वाले मामलों को जारी करें, जिनकी संख्या पर्याप्त है, अन्यथा उनके न्यायालय का बहिष्कार किया जाएगा।
एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) और कॉलेजियम जजों को कर्नाटक न्यायपालिका में जवाबदेही और प्रशासन में सुधार करने और प्रशासन को सही करने के लिए सभी उपाय करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए सूचित करने का भी प्रस्ताव पारित किया।
एसोसिएशन ने सदन में मंत्री द्वारा जजों के कथित हनी ट्रैप पर दिए गए बयान पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से अनुरोध किया कि वे सदन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर तथा हाईकोर्ट की फुल बेंच के समक्ष इसे रखकर इन आरोपों की सत्यता की जांच करें।
कॉलेजियम प्रणाली के मुद्दे पर यह प्रस्ताव पारित किया कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को रोकने तथा जजों की जवाबदेही लाने के लिए यह उचित तथा कुशल प्रणाली नहीं बन पा रही है। कॉलेजियम द्वारा की गई नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद के कई उदाहरण हैं तथा इससे वकीलों तथा आम जनता का इस प्रणाली में विश्वास कम हो रहा है। जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने तथा जजों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कठोर संशोधन आवश्यक हैं।
इस प्रकार आम सभा द्वारा सर्वसम्मति से यह भी संकल्प लिया गया कि कर्नाटक हाईकोर्ट कॉलेजियम में कर्नाटक राज्य का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट के जजों का गठन किया जाना चाहिए।