इस स्तर पर आरोप साबित करने के लिए व्हाट्सएप चैट ठोस और पर्याप्त नहीं; एनडीपीएस कोर्ट ने ऑस्ट्रेलियाई वास्तुकार को जमानत दी

Update: 2020-11-21 13:20 GMT

मुंबई के सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट में गुरुवार को अवकाशकालीन अदालत ने एक ऑस्ट्रेलियाई वास्तुकार, पॉल बार्टेल्स को जमानत दे दी, जिन पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट के तहत आरोप थे।

स्पेशल एनडीपीएस जज एचएस सतभाई ने पाया कि एनसीबी के पास आरोपियों के खिलाफ कोई मामला नहीं था और इस स्तर पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने उनकी भागीदारी साबित करने के लिए आरोपियों बीच व्हाट्सएप चैट पर भरोसा किया था, जबकि यह ड्रग पेडलर/सप्लायर के रूप में उनकी भागीदारी साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

बार्टेल्स पर एनडीपएस एक्ट की धारा 8 (सी), धारा 20 (बी) (ii) ए के साथ पढ़ें, धारा 27 और 29 के तहत अपराध का आरोप है। 11 नवंबर, 2020 को एनसीबी के अधिकारियों ने आरोपी के घर की तलाशी भी ली थी। हालांकि, उसके पास से कोई प्रतिबं‌धित या अपराधकारी सामग्री नहीं मिली थी।

ब्यूरो द्वारा सुशांत सिंह राजपूत मामले में की जांच में की गई कई गिरफ्तारियों में ही ऑस्ट्रेलियाई नागरिक की भी गिरफ्तारी की गई थी। आरोपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा और एडवोकेट सुभाष जाधव पेश हुए थे, जबकि विशेष लोक अभियोजक अतुल सर्पांडे, एनसीबी की ओर से पेश हुए।

कोर्ट ने उल्लेख किया कि वर्तमान मामले में लागू अपराधों के लिए अभ‌ियुक्त को अधिकतम एक वर्ष की सजा दी जा सकती है।

कोर्ट ने कहा, "ऐसी परिस्थितियों में, आरोपी को सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत विचार‌ित एक नोटिस देना आवश्यक था। यह सूचित किया जाता है कि आरोपी को एनसीबी, मुंबई द्वारा बुलाया गया है और सम्मन के जवाब में वह एजेंसी के समक्ष पेश हुआ था। यदि यह सीआरपीसी की धारा 41 ए की उप-धारा 3 के मद्देनजर, मामला होता तो, जांच अधिकारी को अभियुक्तों की गिरफ्तारी के कारणों को निर्दिष्ट करना आवश्यक था। (बशीर बनाम केरल राज्य (2004) 3 एससीसी 609) लेकिन गिरफ्तारी के मेमो आरोपी की गिरफ्तारी के कारणों को नहीं बताती है।"

इसके अलावा, जज ने इस तथ्य पर ध्यान दिलाया कि एनसीबी ने आरोपी की गिरफ्तारी के बाद, उसे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से पहले, उनकी एनसीबी हिरासत के लिए नहीं कहा।

जज ने कहा, "यह दिखाता है कि आरोपी से पूछताछ करने और आगे की यह जांच करने के लिए कि वह ड्रग्स का उपभोक्ता नहीं है, बल्‍कि ड्रग्स का सप्लायर/ आपूर्तिकर्ता है, एनसीबी के पास कोई सामग्री उपलब्ध नहीं थी।"

कोर्ट ने सुजीत तिवारी बनाम गुजरात राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए आरोपी का जमानत दे दी।

विशेष एनडीपीएस जज ने कहा,"पर्याप्त सामग्री के अभाव में और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अभियुक्तों के पास से कोई प्रतिबंध‌ित सामग्री नहीं मिली/ बरामद की गई और अभियुक्तों और व्हाट्सएप चैट को छोड़कर, अभियुक्तों को ड्रग्स सप्लायर मानने के लिए कोई पर्याप्त सामग्री नहीं है। यह जमानत की रियायत को बढ़ाने से इंकार करने के लिए उचित नहीं हो सकता है। "

कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि सह-अभियुक्त निखिल सल्धाना को भी जमानत पर छोड़ दिया गया है और अन्य सह-अभियुक्त अगिसिलाओस डेमेट्रियड्स, जिनकी भूमिका पॉल बार्टल्स के समान है, को भी जमानत दी गई है। इस प्रकार, समता के आधार पर वर्तमान अभियुक्त को भी जमानत पर रिहा करने की आवश्यकता है।

बार्टेल्स को जमानत देते हुए, कोर्ट ने उन्हें एक लाख रुपए का पीआर बॉन्ड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और निम्नलिखित शर्तें लागू की-

(i) आवेदक / आरोपी अपना पासपोर्ट NCB, मुंबई को सौंप देगा।

(ii) आवेदक अभियुक्त अदालत की अनुमति के बिना मुकदमे के निपटारे तक, मुंबई की सीमाओं को नहीं छोड़ेगा।

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