आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने दहेज और हत्या के प्रयास के मामले में आरोपी परिवार को अग्रिम जमानत दी
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता-बहू से दहेज की मांग करने और गला घोंटकर उसकी हत्या के प्रयास के आरोपी परिवार को अग्रिम जमानत दे दी।
जस्टिस सुब्बा रेड्डी सत्ती ने कहा कि हालांकि उसके पति (याचिकाकर्ता नंबर एक) और पत्नी (शिकायतकर्ता) के बीच विवाद है, पर पूरे परिवार को विवाद में डाल दिया गया।
परिवार पर भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 307, 498-ए और सपठित धारा 34 और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3 और 4 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मामला दर्ज कराया गया है।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि पहले याचिकाकर्ता ने अपने माता-पिता, भाइयों और बहनों के साथ दहेज के लिए शिकायतकर्ता को परेशान किया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि आरोपियों ने उसके साथ मारपीट की और जब वह गिर पड़ी तो उन्होंने दुपट्टे से उसका गला घोंटने का प्रयास किया। घटना के बाद उसने अपने चाचा के साथ इस मामले पर चर्चा की और मार्च 2022 में शिकायत दर्ज की।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिकायत में दिए गए अनुमानों के अनुसार, अधिक से अधिक आईपीसी की धारा 34 के साथ धारा 498-ए और डीपी अधिनियम की धारा 3 और 4 को याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आकर्षित किया जा सकता है, लेकिन आईपीसी की धारा 307 को नहीं।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि शिकायतकर्ता ने खुद को किसी भी मेडिकल जांच के लिए प्रस्तुत नहीं किया। उसे लगी चोटों को साबित करने के लिए भी सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं किया गया। उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के परिवार के सभी सदस्यों को फंसाया जा रहा है।
विशेष सहायक लोक अभियोजक ने जमानत अर्जी का विरोध किया। उन्होंने प्रस्तुत किया कि जांच अभी भी चल रही है और याचिकाकर्ताओं द्वारा शिकायतकर्ता को मारने के प्रयास में आईपीसी की धारा 307 लागू होती है, जिससे आरोपी व्यक्ति पूर्व-गिरफ्तारी जमानत के लिए अयोग्य हो जाता है।
कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता को लगी चोटों के संबंध में अभियोजन पक्ष की ओर से कुछ भी पेश नहीं किया गया। कोर्ट की राय थी कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों और पहले याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच के विवादों को देखते हुए याचिकाकर्ता के परिवार के सभी सदस्यों को शामिल किया जा रहा है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को अग्रिम जमानत देने के लिए उक्त तथ्य को पर्याप्त कारण माना।
कोर्ट ने प्रत्येक को 20 हज़ार रुपए का निजी बांड और उतनी ही राशि के दो जमानतदार पेश करने का निर्देश दिया। उन्हें जांच में सहयोग करने और सबूतों से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित नहीं करने का भी निर्देश दिया गया।
केस टाइटल: सैयद बिलाल और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य
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