आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने NEET में न्यूनतम उम्र की शर्त के खिलाफ याचिका खारिज की
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस आर रघुनंदन राव की खंडपीठ ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश (NEET) एग्जाम में उपस्थित होने के लिए न्यूनतम आयु 17 वर्ष निर्धारित करने की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने NEET के लिए न्यूनतम आयु 17 वर्ष की आवश्यकता की संवैधानिक वैधता पर पहले ही फैसला कर दिया है।
रिट याचिका में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया विनियमों के विनियम 4(1) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई, जो NEET एग्जाम के लिए पात्रता मानदंड के रूप में न्यूनतम आयु 17 वर्ष तय करती है।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि NEET एग्जाम के लिए न्यूनतम आयु 17 वर्ष निर्धारित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन है। इसलिए उक्त विनियम रद्द किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इस मुद्दे पर सबसे पहले, मास्टर अल्ली साईं दीपक बनाम आंध्र प्रदेश सरकार के मामले में इसके प्रधान सचिव, उच्च शिक्षा विभाग और अन्य (2013(4) ALT 643) और इसके बाद कंदुला यामिनी सरस्वती बनाम भारत संघ प्रतिनिधि के मामले में इसके सचिव, भारत सरकार, मेडिकल और स्वास्थ्य विभाग, नई दिल्ली और अन्य द्वारा ((2017) 2 ALT 101) द्वारा पहले ही बार-बार विचार किया जा चुका है।
अदालत ने कहा,
"मास्टर अल्ली साई दीपक मामले में यह स्पष्ट रूप से खंडपीठ द्वारा आयोजित किया गया कि सब्जेक्ट एग्जाम में भाग लेने के लिए पात्रता मानदंड के रूप में न्यूनतम आयु 17 वर्ष का निर्धारण भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता खंड का उल्लंघन नहीं करता है। उक्त निर्णय का कंदुला यामिनी सरस्वती मामले में बाद में अन्य खंडपीठ द्वारा पालन किया गया।
उपरोक्त मामलों के आलोक में रिट याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल- मेकला हिमा अन्विता बनाम भारत संघ, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
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