अनुच्छेद 162 | विशेष स्थान पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करना सरकार का विवेकाधिकार है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2022-08-10 07:31 GMT

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत राज्य की विस्तृत कार्यकारी शक्तियों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार के पास सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को स्थापित करने का विवेकाधिकार है।

जस्टिस एम. गंगा राव ने इस प्रकार जगमपेटा गांव के बजाय जेड.रागमपेटा गांव में नया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर रिट याचिका खारिज कर दी।

जगमपेटा मंडल के पूर्व सरपंच याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि 1986 से गांव में पहले से ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। इसे ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड करने के लिए 6 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे। नई सरकार ने स्थान को बदलकर जेड रागमपेटा गांव कर दिया।

यह तर्क दिया गया कि जेड रागमपेटा गांव में नए केंद्र की स्थापना की सिफारिश करने वाले सर्वेक्षण अनुकूल नहीं थे। रागमपेटा गांव बहुत दूर स्थित है। वहां निर्वाचन क्षेत्र के लोग इलाज के लिए नहीं जा सकेंगे।

एपी मेडिकल सर्विस इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के कार्यकारी इंजीनियर ने जवाब दायर किया। इसमें कहा गया कि सरकार ने विस्तृत सर्वेक्षण के बाद जमीन का चयन किया है। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार ने जनता के व्यापक हित में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने का आदेश जारी किया। जवाब में कहा कि पुराना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है और दूरदराज के गांव में स्थित है, जहां सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से ठीक से पहुंचा नहीं जा सकता, खासकर रात के समय में।

एडिशनल एडवोकेट जनरल ने तर्क दिया कि सरकार को सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का पता लगाना है। कार्यकारी शक्ति अत्यंत व्यापक है और विविध विचारों के आधार पर इसे संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती।

अपने तर्क के समर्थन में उन्होंने मंडल मुख्यालय के चयन के संबंध में बी.एन. शंकरप्पा बनाम उथनुर श्रीनिवास और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भरोसा किया, जिसमें यह माना गया कि मंडल मुख्यालय के स्थान के बारे में अंतिम निर्णय सरकार के पास है।

उन्होंने सुरा चिन्ना वीरा रेड्डी बनाम आंध्र प्रदेश सरकार मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें यह माना जाता है कि कार्यकारी प्राधिकरण के रूप में सरकार संविधान के अनुच्छेद 162 के प्रावधानों के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्थानांतरण को निर्देशित करने की शक्ति रखती है।

अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने संबंधित सरकारी आदेश को चुनौती देने के बजाय सामान्य घोषणा की मांग करते हुए याचिका दायर की। अदालत ने याचिकाकर्ता की याचिका में कोई कानूनी बल नहीं पाया। कोर्ट ने कहा कि सरकार के पास किसी विशेष स्थान पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने का पूरा अधिकार है, जिसमें इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

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