पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की NSG सुरक्षा बहाल करने की मांग वाली याचिका खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने पिछले सप्ताह समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) खारिज की, जिसमें केंद्र सरकार को सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) सुरक्षा बहाल करने का निर्देश देने की मांग की गई।
जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस राजीव भारती की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि यादव ने स्वयं इस तरह की राहत के लिए कोर्ट का रुख नहीं किया।
खंडपीठ ने कहा,
"जिस व्यक्ति के लिए सुरक्षा मांगी जा रही है, वह कोर्ट नहीं आया है। ऐसे में हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि याचिकाकर्ता इन कार्यवाहियों को वह भी एक जनहित याचिका के रूप में, कैसे जारी रख सकता है।"
यह जनहित याचिका समाजवादी पार्टी के नेता फिरासत हुसैन गामा द्वारा दायर की गई थी, जिसमें न्याय के हित में यादव की जान की रक्षा और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत संघ को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) सुरक्षा बहाल करने का निर्देश देने की मांग की गई।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि यादव को कई चरमपंथी संगठनों से जान का खतरा है। इसमें आगे कहा गया कि राजनीतिक उद्देश्यों के चलते भारत सरकार ने फरवरी 2019 में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष को दी गई NSG सुरक्षा वापस ली।
याचिका में कहा गया,
"अखिलेश यादव न केवल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं, बल्कि वे सांसद और कई संगठनों के अध्यक्ष भी हैं। उनकी NSG सुरक्षा हटाना भारत सरकार का अनुचित, मनमाना और भेदभावपूर्ण कदम है, क्योंकि कुछ गैर-राजनीतिक संगठनों और छोटे राजनीतिक दलों के नेताओं को भी NSG सुरक्षा प्रदान की गई।"
हालांकि, न्यायालय ने याचिका को केवल सुनवाई योग्यता के आधार पर खारिज कर दिया।
इसमें कहा गया,
"इस रिट याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। तदनुसार, रिट याचिका केवल इसी कारण से खारिज की जाती है।"