इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बार काउंसिल से पूछा, क्या फर्जी वकीलों के खिलाफ शिकायतों के निस्तारण के लिए प्रकिया तैयार हुई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल से पूछा है कि क्या उसने जाली डिग्री के आधार पर प्रैक्टिस कर रहे कथित फर्जी वकीलों के खिलाफ शिकायतों के सत्यापन के संबंध में प्रक्रिया तैयार की है।
जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जयंत बनर्जी की खंडपीठ शक्ति प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि तीसरा प्रतिवादी एक नकली वकील है जिसके खिलाफ सत्यापन के लिए यूपी बार काउंसिल में शिकायत की गई थी, हालांकि उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
याचिकाकर्ता के वकील ने अजयिंदर सांगवान बनाम बार काउंसिल ऑफ दिल्ली और अन्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें फर्जी वकीलों का पता लगाने के लिए राज्य बार काउंसिल को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया गया था।
इस पृष्ठभूमि में यूपी बार काउंसिल से जवाब मांगते हुए कोर्ट ने मामले को 25 अक्टूबर, 2021 को अतिरिक्त सूची में रखने का निर्देश दिया है।
हाल ही में केरल हाईकोर्ट के समक्ष एक फर्जी महिला वकील का मामला समाने आया था, जिसमें सेसी जेवियर नाम की एक महिला ने केरल के अलाप्पुझा (अलेप्पी) में एलएलबी की डिग्री और स्टेट बार काउंसिल में नामांकन के बिना दो साल से ज्यादा समय तक वकालत की थी।
वह एक जानेमाने वकील के कार्यालय में कनिष्ठ अधिवक्ता के रूप में कार्यरत थी। उससे पहले वह उसी वकील के साथ कुछ महीनों तक इंटर्नशिप कर चुकी थी। तब उसने खुद को अंतिम वर्ष की कानून की छात्रा के रूप में पेश किया था। बार काउंसिल में नामांकित होने का दावा करते हुए, उसने मार्च 2019 में एलेप्पी बार एसोसिएशन में सदस्यता के लिए आवेदन किया था, जो दी भी गई।
वह कई मामलों में कोर्ट में पेश भी हुई। कुछ रिपोर्टों के अनुसार उसे कुछ मामलों में एडवोकेट कमिश्नर के रूप में भी नियुक्त किया गया। इतना ही नहीं, उसने इस साल बार एसोसिएशन का चुनाव भी लड़ा और लाइब्रेरियन चुनी गई।
पिछले महीने केरल हाईकोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी पूर्व जमानत से इनकार करते हुए कहा कि उसने न केवल बार एसोसिएशन या आम जनता को, बल्कि पूरी न्यायिक प्रणाली को धोखा दिया है।
कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन नए सदस्यों को स्वीकार करने से पहले बार काउंसिल से सत्यापित करें।
जस्टिस शिरसी वी ने यह कहते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी,
"उसकी अवैध गतिविधियों से, वह भी जिन्हें अदालत के समक्ष किया गया, सख्ती से निपटा जाना चाहिए। यदि नरमी बरती जाती है, केवल इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वह एक युवती है, यह पूरी न्यायिक प्रणाली के लिए शर्म की बात होगी और न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को हिला देगा।"
कोर्ट ने आगे कहा,
"और तो और कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है। उसे तुरंत जांच अधिकारी के सामने आत्मसमर्पण करना होगा अन्यथा मामले की जांच के लिए उसे गिरफ्तार करना होगा।"
केस का शीर्षक - शक्ति प्रताप सिंह बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य