सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल कोर्ट सिस्टम अंसोषजनक; जबकि करीब ही दिल्ली हाईकोर्ट में ऐसी कोई समस्या नहीं: सुप्रीम कोर्ट
"वर्चुअल कोर्ट में सही तरीके से कार्यवाही जारी रखना बहुत मुश्किल है", वर्चुअल कोर्ट में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह बात कही और साथ ही सेक्रेटरी जनरल को सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई के असंतोषजनक कामकाज के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया।
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने एक मामले की अध्यक्षता हुए वर्चुअल कोर्ट सिस्टम के फेल कनेक्शन को उजागर करने का उल्लेख किया।
आदेश में कहा गया,
"हमें शुरुआत से ही सुप्रीम कोर्ट में असंतोषजनक ढंग से काम करने के लिए वर्चुअल कोर्ट सिस्टम की अक्षमता पर ध्यान देना चाहिए था, जबकि करीब ही बने दिल्ली हाईकोर्ट में ऐसी कोई तकनीकी समस्या नहीं है!"
दिल्ली हाईकोर्ट, जो सुप्रीम कोर्ट के पास स्थित है, सिस्को वेबेक्स की सुविधाओं का उपयोग वर्चुअल सुनवाई की कार्यवाही करने के लिए करता है और सुप्रीम कोर्ट कार्यवाही का संचालन करने के लिए Vidyo ऐप का उपयोग करता है।
आदेश में कहा गया है कि भले ही जब कोई एक व्यक्ति बहस कर रहा होता है, तब भी आवाज़ की गूंजती है और यह समझना मुश्किल है कि वह कह क्या रहा है।
आदेश में आगे कहा गया,
"हम कल से डिस्कनेक्ट की समस्या को सुलझाने की की कोशिश कर रहे हैं, आवाज़ तब भी गूंजती है जब एक ही व्यक्ति बहस कर रहा होता है। यह समझा जाना मुश्किल है कि अधिक खामोशी के बावजूद भी हमें गूंजती हुई आवाज़ें सुनाई देती हैं, जो हमारी खुद की आवाज़ों की प्रतिध्वनि है।"
उपरोक्त संदर्भ में वर्चुअल अदालतों में उचित तरीके से कार्यवाही करना मुश्किल हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सेक्रेटरी जनरल को इस मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया है।
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