सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (12 जून, 2023 से 16 जून, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
धारा 197 सीआरपीसी| अधिकारी ने आधिकारिक कर्तव्यों से बढ़कर कार्य किया हो, तब भी अभियोजन के लिए स्वीकृति आवश्यक: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में दोहराया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 (1) के अनुसार अभियोजन के लिए अनुमति की आवश्यकता उन मामलों में भी है, जहां अधिकारी ने अपने आधिकारिक कर्तव्यों से बढ़कर कार्य किया है। जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने भ्रष्टाचार के एक मामले में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) के पूर्व कार्यकारी निदेशक रहे एक व्यक्ति को बरी करते हुए उक्त टिप्पणी की।
केस टाइटलः केस टाइटल: ए श्रीनिवासुलु बनाम प्रतिनिधि राज्य पुलिस निरीक्षक के माध्यम से| 2023 लाइवलॉ एससी 485 | आपराधिक अपील संख्या 2417/2010| जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मित्तल
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राज्य एकाधिकार, सरकारी कंपनियां और सार्वजनिक उपक्रम प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उल्लंघन नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य एकाधिकार, सरकारी कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के उल्लंघन में प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रैक्टिसों में लिप्त होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने यह अवलोकन करते हुए कहा कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम कोल इंडिया लिमिटेड पर लागू होता है। सीआईएल का प्राथमिक तर्क यह था कि कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण कोयला खदान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम 1973 के अनुसार किया गया था। और यह कि चूंकि यह एक राज्य का एकाधिकार है जो क़ानून के अनुसार कार्य करता है।
केस टाइटल: कोल इंडिया लिमिटेड बनाम भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग
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'पति की आय के संबंध में पत्नी के निर्विरोध दावे को सत्य के रूप में लिया जाए': सुप्रीम कोर्ट ने मृतक ड्राइवर के लिए मुआवजा बढ़ाया
सुप्रीम कोर्ट ने यह मानते हुए कि अधिनियम, 1923 का उद्देश्य सामाजिक न्याय प्रदान करना है, मृत कर्मचारी के परिजनों को कर्मकार मुआवजा अधिनियम, 1923 के तहत बढ़ा हुआ मुआवजा दिया है। खंडपीठ ने एक सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण लिया और मामले को फिर से विचार के लिए वापस हाईकोर्ट में भेजने के बजाय, उसने स्वयं मृतक के परिवार को बढ़ा हुआ मुआवजा देने का आदेश दिया।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने ममता देवी और अन्य बनाम रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य में फैसला सुनाते हुए माना है कि जब मृत कर्मचारी की पत्नी ने शपथ पर उसकी आय बताली है और नियोक्ता इसे स्वीकार करता है तो कल्पना की किसी भी सीमा तक उप श्रम आयुक्त न्यूनतम श्रम दर पर मुआवजे से कम मुआवजे का आदेश नहीं दे सकते थे।
केस टाइटल: ममता देवी व अन्य बनाम रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य।
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पीसी एक्ट के तहत विशेष न्यायालय द्वारा संज्ञान लिए जाने पर अनुमोदक को मजिस्ट्रेट द्वारा गवाह के रूप में परीक्षण करने की आवश्यकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जब विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5(2) के तहत सीधे संज्ञान लेने का विकल्प चुनता है तो दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 306 (4)(a) के अनुसार अनुमोदक को मजिस्ट्रेट की अदालत में गवाह के रूप में परीक्षित किए जाने का प्रश्न नहीं उठता।
सीआरपीसी की धारा 306(4) में विचार किया गया है कि क्षमादान स्वीकार करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को संज्ञान लेने वाले मजिस्ट्रेट की अदालत में और बाद के मुकदमे में गवाह के रूप में पेश किया जाना चाहिए।
केस टाइटल: ए श्रीनिवासुलु बनाम प्रतिनिधि राज्य पुलिस निरीक्षक के माध्यम से| 2023 लाइवलॉ एससी 485 | आपराधिक अपील संख्या 2417/2010| जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मित्तल
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यात्रियों के सामान की चोरी के लिए रेलवे जिम्मेदार नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता फोरम का फैसला रद्द किया
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यात्री के निजी सामान की चोरी रेलवे द्वारा "सेवा की कमी" नहीं है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आदेश रद्द कर दिया, जिसमें रेलवे को यात्री को चोरी की गई नकदी की प्रतिपूर्ति करने का निर्देश दिया गया था। खंडपीठ ने कहा, “हम यह समझने में विफल हैं कि चोरी को किसी भी तरह से रेलवे द्वारा सेवा में कमी कैसे कहा जा सकता है। यदि यात्री अपने सामान की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं है तो रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।”
केस टाइटल: स्टेशन अधीक्षक और अन्य बनाम सुरेंद्र भोला
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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पुलिस के नियमों को पुलिस बल के मौजूदा पदानुक्रम के संदर्भ में पुराना बताया; उपचारात्मक उपाय निर्देशित किया
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब पुलिस नियम, 1934 को पुलिस बल के मौजूदा पदानुक्रम के संदर्भ में अभी तक संशोधित नहीं किए जाने पर असंतोष व्यक्त किया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि नियमों के अनुसार, डायरेक्टर जनरल के अधिकार को कानून के अधिनियमन के दौरान सर्वोच्च माना गया। लेकिन अब, पुलिस में सर्वोच्च पद पुलिस डायरेक्टर जनरल के पास है, जो भारतीय पुलिस सेवा से लिया गया अधिकारी है।
केस टाइटल: ऐश मोहम्मद बनाम हरियाणा राज्य व अन्य | सिविल अपील नंबर 4044/2023
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जमानत की शर्त के रूप में बैंक गारंटी कानून की नजर में टिकाऊ नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने हाईकोर्ट द्वारा आरोपी की जमानत के लिए शर्त के रूप में 2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देने के आदेश को रद्द कर दिया। खंडपीठ ने आरोपी को इसके बदले पांच लाख रुपये का जमानत बांड जमा करने का निर्देश देकर शर्त में संशोधन किया।
खंडपीठ ने निम्नानुसार आयोजित किया, "बैंक गारंटी प्रस्तुत करने की आवश्यकता के बजाय हम निर्देश देते हैं कि अपीलकर्ता हमारे समक्ष अपील के तहत जमानत के दो आदेशों में से प्रत्येक में पांच लाख रुपये के जमानत बांड प्रस्तुत करेगा। विवादित आदेशों में निहित बाकी शर्तें बनी रहेंगी और अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा होने के लिए उनका पालन करना होगा।"
केस टाइटल: करणदीप सिंह बनाम सीबीआई
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सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ ने सीनियर एडवोकेट को सुनने से इनकार किया कहा, छुट्टियों के दौरान जूनियर्स को अवसर दिए जाने चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने यह बेहद स्पष्ट करते हुए कि सीनियर एडवोकेट को मामलों का उल्लेख करने या बहस करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, मंगलवार को चार सीनियर एडवोकेट को सुनने से इनकार कर दिया। एक मामले का उल्लेख करते हुए सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ के समक्ष उपस्थित हुए।
सीनियर एडवोकेट को देखकर पीठ ने टिप्पणी की, "मिस्टर सिंघवी आप एक अवकाश पीठ के समक्ष उल्लेख कर रहे हैं। हम एक सीनियर एडवोकेट को नहीं सुनेंगे। कृपया, अपने एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को मेंशन करने के लिए कहें। सिंघवी ने मुस्कुराते हुए टिप्पणी स्वीकार की।
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सुप्रीम कोर्ट ने मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2020 के तहत ड्राइवरों और सवारों के लिए कम बीमा कवरेज पर सवाल उठाया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मोटर व्हिकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस, 2020 के तहत ड्राइवरों और पिछली सीट के सवारों को प्रदान किए जा रहे बीमा कवरेज पर असंतोष जाहिर किया। बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर्स, रैपिडो और उबर को बिना एग्रीगेटर लाइसेंस के बाइक-टैक्सियों के संचालन की अनुमति देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार द्वारा अंतिम नीति अधिसूचित किए जाने तक, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने ड्राइवर और पिछली सीट पर सवार के बीमा कवरेज के बारे में पूछताछ की थी।
केस टाइटल: एनसीटी दिल्ली सरकार और अन्य बनाम रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्रा लिमिटेड एसएलपी (सी) संख्या 12000/2023]
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में रैपिडो, उबर के बाइक-टैक्सी संचालन की अनुमति देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर रैपिडो और उबर को एग्रीगेटर लाइसेंस के बिना बाइक-टैक्सी संचालित करने की अनुमति दी गई थी, जब तक कि दिल्ली सरकार इसके लिए अपनी पॉलिसी अधिसूचित नहीं करती।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की एक अवकाश पीठ ने कहा, "इन परिस्थितियों में हमारी राय में पॉलिसी को अंतिम रूप देने तक एक वैधानिक व्यवस्था के पूर्ण पैमाने पर संचालन पर अंतरिम आदेश अनुचित है और हम दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पारित दोनों आदेशों पर रोक लगाते हैं।"