सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार याचिका दायर करने पर याचिकाकर्ता पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, पुलिस से उसे गिरफ्तार करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक याचिकाकर्ता पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसने "प्रक्रियात्मक कानून का अनुचित लाभ उठाने" का इरादा किया, क्योंकि उसने सुप्रीम कोर्ट में जाने से पहले दो बार हाईकोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत याचिका वापस ले ली थी।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ अग्रिम जमानत के लिए याचिका पर सुनवाई कर रही थी। खंडपीठ ने कहा कि आरोपी ने अग्रिम जमानत देने में हाईकोर्ट की अनिच्छा को देखते हुए 30 सितंबर, 2024 को हाईकोर्ट के समक्ष अपना आवेदन वापस ले लिया था।
इसके बाद आरोपी द्वारा दायर अन्य आवेदन पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। इसने कहा कि 25 जून, 2023 को आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज होने के बावजूद, एक साल से अधिक समय तक आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। हाईकोर्ट ने पुलिस को अगली सुनवाई तक जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। जब मामला फिर से सूचीबद्ध हुआ तो याचिकाकर्ता ने फिर से आवेदन वापस ले लिया।
उपर्युक्त तथ्यों पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता कानून का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश कर रहा था। खंडपीठ ने आरोपी पर दो लाख का जुर्माना लगाया और अमृतसर के पुलिस आयुक्त को याचिकाकर्ता को तीन दिन के भीतर गिरफ्तार करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा,
"यह एक तथ्य है कि पहली जमानत याचिका और दूसरी जमानत याचिका खारिज होने के बाद भी याचिकाकर्ता को हिरासत में नहीं लिया गया। इस प्रकार, याचिकाकर्ता सर्वविदित कारणों से प्रक्रियात्मक कानून का अनुचित लाभ उठाने का इरादा रखता है। हम 2,00,000/- (दो लाख रुपये) के जुर्माने के साथ इस विशेष अनुमति याचिका खारिज करने के लिए इच्छुक हैं। याचिकाकर्ता द्वारा पंजाब राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जुर्माने की राशि जमा की जाए और एक सप्ताह के भीतर इसका सबूत दाखिल किया जाए। तदनुसार आदेश दिया जाता है।"
कोर्ट ने आगे कहा,
"हम अमृतसर के पुलिस आयुक्त को याचिकाकर्ता को तीन दिन के भीतर गिरफ्तार करने और चौथे दिन इस न्यायालय की रजिस्ट्री के समक्ष हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।"
केस टाइटल : पार्टिक अरोड़ा @ पार्टिक जुनेजा बनाम पंजाब राज्य | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) डायरी नंबर 1920/2025