सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के चुनाव संबंधी खर्च पर निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (08.12.23) को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राजनीतिक दलों के चुनाव-संबंधी मामलों पर खर्च की सीमा तय करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामला खारिज कर दिया।
जनहित याचिका में राजनीतिक दलों द्वारा खर्च की सीमा की गणना और निर्धारण, उम्मीदवारों के खर्चों पर प्रतिबंध, नामांकन से पहले मुद्रित और पोस्ट किए गए लेखों पर प्रतिबंध और न्यायालयों द्वारा पैम्फलेट और पोस्टर आदि को प्रतिबंधित करने के संबंध में दिशा-निर्देश मांगे गए।
याचिकाकर्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 86(7) के अनुसार, हाईकोर्ट को उस तारीख से छह महीने के भीतर चुनाव याचिकाओं का तेजी से निपटान करना होता है, जिस दिन चुनाव याचिका सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में प्रस्तुत की जाती है।
हालांकि, उन्होंने तर्क दिया कि हाईकोर्ट "3-4 वर्षों के बाद भी निर्णय नहीं लेते हैं", और सभी हाईकोर्ट को निर्धारित समय सीमा के भीतर ऐसी याचिकाओं का निपटारा करने के लिए निर्देश देने की मांग की।
यह देखते हुए कि मांगे गए निर्देश विधानमंडल के दायरे में आते हैं, सीजेआई ने टिप्पणी की,
"या तो ये विधायी परिवर्तन हैं या नीतिगत मामले हैं। हम इस तरह की याचिका पर कैसे विचार कर सकते हैं?"
पीठ ने मामला खारिज करते हुए कहा,
'हम संसद को यह आदेश नहीं दे सकते कि आप इस विषय पर कानून बनायें।'
केस टाइटल: रमेश कुमार खत्री बनाम भारत निर्वाचन आयोग डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 001163 - / 2023
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