सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को 35 साल से अधिक समय से जेल में बंद श्रीलंकाई नागरिक की समयपूर्व रिहाई पर विचार करने का निर्देश दिया

Update: 2023-03-01 07:07 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तमिलनाडु सरकार को 35 साल से अधिक समय से कैद श्रीलंकाई नागरिक की समय से पहले रिहाई पर विचार करने का निर्देश दिया।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ 2018 की नीति के आधार पर याचिकाकर्ता की समय से पहले रिहाई से इनकार को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार कर रही थी।

खंडपीठ ने कहा,

"हम तमिलनाडु राज्य को निर्देश देते हैं कि वह आज से अधिकतम तीन सप्ताह के भीतर इस आदेश में जो कहा गया है, उसके आलोक में याचिकाकर्ता की समय से पहले रिहाई के मुद्दे पर पुनर्विचार करे।"

याचिकाकर्ता को आजीवन कारावास का दोषी ठहराया गया और लगभग 35 साल की सजा काट चुका है। याचिकाकर्ता का मामला यह है कि दिनांक 1 फरवरी, 2018 की नीति के अनुसार प्री-मैच्योर रिलीज देने के लिए उसके आवेदन पर विचार किया गया।

12 फरवरी, 2021 के आदेश के माध्यम से उसकी प्रार्थना दो आधारों पर खारिज कर दी गई: पहला, किए गए अपराध की गंभीरता और दूसरा, सह-अभियुक्तों के ट्रायल को अलग कर दिया गया। इसलिए याचिकाकर्ता की समयपूर्व रिहाई निष्पक्ष सुनवाई में बाधा होगी।

कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर पहले के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि जेल में याचिकाकर्ता का आचरण संतोषजनक था। कोर्ट ने 2021 के आदेश का हवाला दिया और दर्ज किया कि यह पता लगाना आवश्यक है कि याचिकाकर्ता किसी अन्य अपराध में शामिल तो नहीं है।

याचिकाकर्ता की प्रार्थना पर गृह मंत्रालय के माध्यम से भारत संघ को यह सुनिश्चित करने की दृष्टि से पक्षकार बनाया गया कि याचिकाकर्ता की समय से पहले रिहाई के बाद वह अपने देश लौट जाए, जिसकी बाद में पुष्टि की गई।

पिछली सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने बयान दिया कि याचिकाकर्ता के यात्रा दस्तावेजों का इंतजार है।

तमिलनाडु की ओर से पेश सीनियर वकील वी गिरी ने सूचित किया कि राज्य ने ट्रांजिट कैंप स्थापित किए हैं, जहां दोनों विदेशी, जो भारत में रह चुके हैं और साथ ही शरणार्थी भी हैं, उनको समायोजित किया गया।

पीठ को बताया गया कि अगर अदालत ऐसा आदेश देती है तो याचिकाकर्ता को ऐसे ट्रांजिट कैंप में ट्रांसफर किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि यदि उसे ट्रांजिट कैंप में ट्रांसफर किया जाता है तो राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर सकती है कि वह तब तक बाहर न जाए, जब तक कि वह अपने देश वापस नहीं जाता।

सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता द्वारा कोई अन्य अपराध नहीं किया गया, राज्य सरकार से समय से पहले रिहाई के उनके अनुरोध पर विचार करने के लिए कहा। इस बीच अदालत ने याचिकाकर्ता को उचित ट्रांजिट कैंप में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। बेंच ने इस प्रक्रिया के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी।

याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए।

केस टाइटल: राजन बनाम तमिलनाडु राज्य

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