बिहारी मंदिर में दर्शन समय और डेहरी पूजा बंद करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार व हाई पावर्ड कमेटी से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने आज उत्तर प्रदेश सरकार और कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर्ड कमेटी से उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें मथुरा स्थित ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के दर्शन समय में बदलाव और डेहरी पूजा बंद किए जाने को चुनौती दी गई है। इस मामले में नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए 7 जनवरी 2026 की तारीख तय की है।
चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल पंचोली की खंडपीठ मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता मंदिर की प्रबंधन समिति है, जो गोपीश गोस्वामी (शयन भोग सेवा) और रजत गोस्वामी के माध्यम से याचिका लेकर आई है।
याचिका में वृंदावन (मथुरा) की हाई पावर्ड टेंपल मैनेजमेंट कमेटी द्वारा मंदिर के दर्शन समय में किए गए बदलाव और डेहरी पूजा को बंद करने के फैसलों को चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि अगस्त माह में मंदिर प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक हाई पावर्ड कमेटी, जिसकी अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अशोक कुमार कर रहे हैं, के अधीन रखा गया था। मंदिर समय में बदलाव को लेकर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह सुप्रीम कोर्ट के 8 अगस्त के आदेश के विपरीत है, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि हाई पावर्ड कमेटी मंदिर के आंतरिक धार्मिक कार्यों, जैसे पूजा, सेवा और प्रसाद की व्यवस्था, में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
डेहरी पूजा को लेकर याचिका में कहा गया है कि यह पूजा गुरु-शिष्य परंपरा के तहत मंदिर के आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहने के दौरान की जाती है। यह पूजा सुबह 6 बजे से 8 बजे, दोपहर 1 बजे से 3 बजे और रात 9 बजे से 10 बजे के बीच संपन्न होती है। याचिका में बताया गया है कि डेहरी को भगवान के चरण माना जाता है, जहां इत्र सेवा, पुष्प अर्पण और प्रार्थना की जाती है। इस आवश्यक धार्मिक परंपरा को बंद करना मनमाना, अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक बताया गया है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यह निर्णय गोस्वामियों के अधिकारों में सीधा हस्तक्षेप है और संविधान के अनुच्छेद 25 और 26(ख) का उल्लंघन करता है।
याचिकाकर्ताओं ने हाई पावर्ड कमेटी द्वारा मंदिर निधि का उपयोग कार किराये के भुगतान के लिए किए जाने और कमेटी में गोस्वामियों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर भी आपत्ति जताई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि समिति के अध्यक्ष ने बहुमत की सहमति से चयन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
याचिका में कहा गया है कि गोस्वामियों ने कई बार अध्यक्ष से बहुमत से चुने गए नामों की नियुक्ति करने या 13.06.2025 के प्रस्ताव के अनुसार कार्रवाई करने, अथवा स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया अपनाने का अनुरोध किया, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। चयनित सदस्यों में से केवल एक व्यक्ति (शैलेंद्र गोस्वामी) ही प्रस्तावित सूची से है, जबकि अन्य तीन नाम बहुमत से चयनित नहीं हैं।
गौरतलब है कि 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 के तहत गठित समिति के संचालन पर रोक लगाते हुए, मंदिर के दैनिक प्रशासन और निगरानी के लिए जस्टिस अशोक कुमार की अध्यक्षता में एक हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया था। अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को लेकर चुनौती को कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास भेज दिया था। हाईकोर्ट के निर्णय तक, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर्ड कमेटी ही मंदिर का प्रभार संभालेगी।