सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, क्या पंचायतों में ओबीसी आरक्षण की जांच के लिए कोई आयोग बना है?

Update: 2022-12-02 10:56 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र से पूछा कि क्या पंचायतों में ओबीसी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व से संबंधित मुद्दे की जांच के लिए किसी आयोग का गठन किया गया है। कोर्ट ने भारत संघ के वकील से इस उद्देश्य के लिए कमीशन की मांग वाली याचिका में निर्देश प्राप्त करने को कहा।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

याचिकाकर्ता ने शुरू में कहा,

"अनुच्छेद 340 डेसिग्नेटेड कमीशन का प्रावधान देता है। आज तक कोई आयोग गठित नहीं किया गया।"

सीजेआई ने जब न्यायमूर्ति रोहिणी आयोग के बारे में पूछताछ की तो याचिकाकर्ता ने कहा,

"जहां तक ​​​​राजनीतिक प्रतिनिधित्व का संबंध है, कोई आयोग नहीं है। 2017 में मंडल आयोग के बाद अलग उद्देश्य के लिए जस्टिस रोहिणी आयोग बना था। यह राजनीतिक प्रतिनिधित्व के इस उद्देश्य के लिए अनुभवजन्य डेटा को कवर नहीं करता।"

जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने इस पर मौखिक टिप्पणी की,

"पिछड़े वर्गों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए प्रावधान करने के लिए राज्य अधिनियमों में संशोधन की आवश्यकता है। संवैधानिक संशोधन के बाद पंचायतों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व को शामिल करने के लिए सभी राज्य अधिनियमों में संशोधन किया गया, आप यही कह रहे हैं, है ना? संशोधन के लिए खरीदा जाता है ..."

इस मौके पर सीजेआई ने भारत संघ के वकील को आयोग के गठन की वास्तविक स्थिति पर निर्देश लेने के लिए कहा। इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया गया।

केस टाइटल: मंगेश शंकर बनाम यूओआई डब्ल्यूपी(सी) नंबर 1007/2021

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