NEET-UG से एडमिशन न पाने वाले आयुष स्टूडेंट की डिग्री बरकरार रखी जाए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अंडर-ग्रेजुएट आयुष कोर्स के कुछ स्टूडेंट को अपनी डिग्री बरकरार रखने की अनुमति दी। हालांकि उनका एडमिशन NEET-UG परीक्षा के माध्यम से नहीं लिया गया।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि स्टूडेंट के कोर्स पूरा करने के बाद उनके परिणाम को रोकना उनके लिए बहुत कठिनाई का कारण बनेगा।
यह सच है कि NEET परीक्षा में शामिल नहीं होने वाले उम्मीदवारों को कॉलेज द्वारा एडमिशन नहीं दिया जा सकता था। फिर भी अब तक इन स्टूडेंट ने अपना कोर्स पूरा कर लिया है और परीक्षा परिणाम या उनकी डिग्री को रोकना उनके लिए बहुत कठिनाई का कारण बनेगा।"
संक्षेप में मामला
याचिकाकर्ता अंडर-ग्रेजुएट आयुष कोर्स के स्टूडेंट हैं, जिन्होंने NEET UG-2019 परीक्षा में शामिल हुए बिना उक्त कोर्स में एडमिशन लिया था। उनके अनुसार, याचिकाकर्ताओं को इस तथ्य की जानकारी नहीं थी कि उन्हें उक्त कोर्स में एडमिशन पाने के लिए NEET परीक्षा में शामिल होना आवश्यक है।
कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इस आधार पर स्टूडेंट को एडमिशन की अनुमति दी थी कि आयुष कोर्स में एडमिशन के लिए NEET परीक्षा की प्रयोज्यता का उचित प्रकाशन नहीं किया गया। हालांकि, उक्त आदेश को भारत संघ द्वारा चुनौती दिए जाने पर हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेशों को रद्द कर दिया।
खंडपीठ ने पाया कि 2018 में समाचार पत्रों में नोटिस प्रकाशित किया गया, जिसमें आयुष यूजी-कोर्स में एडमिशन के लिए उम्मीदवारों को NEET उत्तीर्ण करने की आवश्यकता थी। इसके अलावा, ऐसे अन्य उम्मीदवार भी थे, जो NEET-UG 2019 में उपस्थित हुए और फिर आयुष कोर्स में एडमिशन लिया। इस प्रकार, खंडपीठ ने NEET आवश्यकता के अपर्याप्त प्रकाशन के बारे में याचिकाकर्ताओं की दलील खारिज की।
खंडपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनके परिणाम/डिग्री को रोकने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहले के अंतरिम आदेश रद्द कर दिया, जो इस प्रकार था - "याचिकाकर्ताओं को प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी। अगले आदेश तक परिणाम घोषित नहीं किए जाएंगे"।
केस टाइटल: इबतेशाम खातून बनाम भारत संघ और अन्य, एसएलपी (सी) संख्या 6658/2021 (और संबंधित मामला)